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________________ विषय विवेक सङ्गति २. प्रकरण का लक्षण प्रकरण भेद प्रकल्प्य स्वरूप उत्सर्ग का प्रतिदेश ३. नाटिका का लक्षण नाटिका में कर्त्तव्य का उपदेश नाटिका में करने योग्य अन्य बात ४. प्रकरणी का लक्षण ५. व्यायोग का निरूपण सन्धि तथा प्रवस्थानों की न्यूनता का उपपादन ६. समवकार का निरूपण समवकार में किये जाने वाले अन्य कार्यों का उपदेश शृङ्गारदि की व्याख्या ७. भारत का लक्षणं कत्तव्य के प्रदर्शन द्वारा नायक का वर्णन ८. प्रहसन का लक्षण शुद्ध प्रहसन सङ्कीर्ण (घ ) द्वितीय विवेक ९. डिम का लक्षण रसों की सुख-दुःखात्मकता डिम में करने योग्य अन्य बातों का तथा नायक का निर्देश ११. ईहामृग का लक्षण ईहामृग में करने योग्य अन्य बातें १२. वीथी का लक्षण १०. उत्सृष्टिकाङ्क का निरूपण उत्सृष्टिका में करने योग्य अन्य बातों का निर्देश वोथी के तेरह मङ्ग (१) व्यवहार (२) प्रघिबल (३) गण्ड (४) प्रपञ्च (५) त्रिगत (६) चल (७) Jain Education International प्रसत्प्रलाप For Private & Personal Use Only 180. .... 1000 .... **** .... ... .... Da **** .... **** .... Sopor पृष्ठ २०२ २०२ २०६ २११ २११ २१२ २१५ २१६ २१७ २१८ २१६ २२१ २२३ २२५ २२ε २३० २३० २३१ २३२ २३३ २३४ २३५ २३६ २३८ २३८ २४० २४० २४२ २४२ २४६ २४९ २५२ २५४ २५७ २१८ www.jainelibrary.org
SR No.001892
Book TitleNatyadarpan Hindi
Original Sutra AuthorRamchandra Gunchandra
AuthorDashrath Oza, Satyadev Chaudhary
PublisherHindi Madhyam Karyanvay Nideshalay Delhi
Publication Year1990
Total Pages554
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size9 MB
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