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नलविलासे ___ राजा- (सभयम्) कोऽयमुत्पातः? ततस्ततः।
कलहंसः- अनन्तरं च कपिञ्जले! प्रतिकृतिमेतां ताताय दर्शय, चित्रपटमेतं च देवतागृहे निधेहीत्यभिधाय राजतनया मां विसृष्टवती।
राजा- (सभयम्) कथं न किमपि प्रत्युत्तरम्?
कलहंस:- किन्तु देवप्रतिकृतिपटस्य देवतागृहविमोचनेन दत्तमेव राजपुत्र्या प्रत्युत्तरम्।
राजा- वाचिकं श्रोतुमिच्छामि। मकरिका- (१) इदं पच्छा मम कहिदं। जहा
राजा- (भय के साथ) यह कौन सा विघ्न उपस्थित हो गया? उसके बाद, उसके बाद।
कलहंस- और इसके बाद, कपिञ्जले! इस प्रतिकृति को पिता जी को दिखाओ तथा इस प्रतिकृति को मन्दिर में रख दो यह कहकर दमयन्ती ने मुझे (वहाँ से) विदा किया।
राजा- (भयपूर्वक) उसने कुछ उत्तर क्यों नहीं दिया?
कलहंस- किन्तु महाराज की प्रतिकृति को देवगृह में रख दो, इस तरह से तो दमयन्ती ने उत्तर दे ही दिया।
राजा- (दमयन्ती के) वचन को सुनना चाहता हूँ। मकरिका- पश्चात् उसने हमसे यह कहा। जैसा कि
(१) इदं पश्चात् मम कथितम्। यथा
इहास्ति घोरघोणो यथार्थनामा कापालिक एकः। क्रूरत्वस्य कापट्यस्य प्रथमं प्रतिष्ठानम्।। लम्बस्तनीति नाम भार्या तस्यास्ति कुब्जतनुयष्टिः । सकलानां दोषाणां स्थानं दूती च मिथुनानाम्।।
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