SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 65
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नलविलासे कलहंसः - कोऽयं चित्रसेनः ? को मेषमुखः ? कः कोष्टकः ? का वा सा ? यस्याः प्रतिकृतिः । २२ राजा- अव्यक्तस्थानश्चारलेखोऽयं न शक्यते ज्ञातुम् । भवतु तावत्, पुरोऽवलोकय । ( कलहंसः तथा करोति ) कापालिक : - ( सभयमुच्चैः स्वरम् ) तदेव व्याहरति । कलहंसः - (विलोक्य सहर्षमात्मगतम्) अहो! स्त्रीरत्नं सेयं स्वप्नदृष्टा मुक्तावली । स चैव नैमित्तिकावेदितः स्वप्नार्थज्ञानप्रत्ययहेतुरर्थः । (प्रकाशम्) देव! सफलीक्रियतां नेत्रनिर्माणं लोकोत्तरवस्तुदर्शनेन । राजा - ( विलोक्य सहर्षप्रकर्षम् ) अहो! बहूनां वस्तूनामेकत्र वासः । वक्त्रं चन्द्रो नयनयुगली पाटलाम्भोजयुग्मं नासानालं दशनवसनं फुल्लबन्धूकपुष्पम् । कलहंस - यह चित्रसेन कौन है? मेषमुख कौन है ? कौन कोष्ठक है? वह कौन है, जिसका यह छायाचित्र है ? राजा - अपरिचित स्थान में रहने वाले किसी गुप्तचर के द्वारा लिखित इस पत्र के भाव को जानना कठिन है। अच्छा, तो आगे देखो। ( कलहंस वैसा करता है ) कापालिक - ( भयभीत जोर से) 'भो भो ! नालोकनीयम्; इत्यादि पढ़ता है। कलहंस- ( देखकर हर्ष के साथ अपने मन में) अरे ! यह तो वही स्त्री - रत्न है, जिसे महाराज ने स्वप्न में मुक्तावलि के रूप में देखा । और नैमित्तिक ने कहा भी है कि स्वप्न में देखे गये मुक्तावलि का फल स्त्री-रत्न की प्राप्ति है। (प्रकट में ) महाराज ! नेत्र होने का जो फल है, उसे इस अलौकिक वस्तु के दर्शन से सफल कीजिये । राजा - (देखकर अत्यधिक हर्ष के साथ) अहा ! अनेक ( रमणीय) वस्तुओं (गुणों) का निवास एक जगह है मुख में चन्द्रमा ने, दोनों नेत्रों में पीत- रक्त वर्ण के दो कमल ने, नासिका में कमलनाल ने, दाँतों के निवास स्थान में खिले हुए बन्धूक पुष्पों ने, गले में शङ्ख ने, स्तनद्वय में दो स्वर्ण कलशों ने दोनों नितम्बों में गङ्गा की धारा को अवरुद्ध करने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001890
Book TitleNalvilasnatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamchandrasuri
PublisherParshwanath Vidyapith
Publication Year1996
Total Pages242
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Story, & Literature
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy