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नलविलासे नल के साथ दमयन्ती का संयोग कराने वाले हंस विषयक मूल कथांश को परिवर्तित कर लम्बस्तनी के इस वृत्तांश की योजना कि- राजा भीम ने कापालिक घोरघोण की इच्छानुसार दमयन्ती का विवाह कलचुरिपति चित्रसेन के साथ कराने का निश्चय किया था। इसलिए दमयन्ती का विवाह नल के साथ नहीं हो सकता, किन्तु लम्बस्तनी एक ऐसी स्त्री थी जो राजा भीम को अपने दृढ़ निश्चय से हटाकर दमयन्ती का विवाह नल के साथ कराने में समर्थ थी। इस हेतु दूत बनकर मकरिका के साथ विदर्भदेश को गये कलहंस ने लम्बस्तनी के प्रभाव को जानकर उसे अपने साथ राजा नल के समीप लाने की चेष्टा की। तत्पश्चात् उस लम्बस्तनी ने दमयन्ती दर्शन के इच्छुक राजा नल को अपनी माया से नल-दमयन्ती का संयोग कराया जिससे दमयन्ती नल को अपना पति मान लेती है और उन्हें अपने स्वयंवर में आने के लिए आमन्त्रित करती है। कवि द्वारा इस रूप में परिवर्तित कथा भाग की योजना का उद्देश्य जहाँ एक तरफ नाटक के प्रधान रस के अङ्ग रूप में वर्णित हास रस की योजना करना है, वहीं दूसरी तरफ इन्द्रादि देवों का दूत बनकर विदर्भदेश को गये नल को दमयन्ती द्वारा अपना पति मानकर इन्द्रादि देवों के साथ उन्हें स्वयंवर में आने के लिए आमन्त्रित करना रूपी मूल कथा-भाग के साथ तारतम्य बनाये रखना भी है।
जहाँ तक मूल कथा में वर्णित दमयन्ती स्वयंवर वृत्तान्त को बदलकर कवि ने स्वयंवर में आये हुए विभिन्न राजाओं का परिचय माधवसेन के द्वारा दमयन्ती को कराया है, इसका उद्देश्य है- प्रधान नायक के चरित का उत्कर्ष दिखाना, मूल कथा के अनुसार चेदिनरेश के वर्णन क्रम में चेदिनरेश दमयन्ती का मौसेरा भाई है, यह बताना तथा पतिव्रता धर्म का महत्त्व प्रतिपादित करना। यहाँ ध्यातव्य है कि मूलकथांश में इस प्रकार से परिवर्तन सामाजिक दृष्टि से किया गया है। साथ ही परिवर्तित स्वयंवर वृत्तान्त से जहाँ सामाजिक को पुराणकालीन राजाओं के परिचय का ज्ञान होता है, वहीं कवि के पौराणिक ज्ञान का भी परिचय मिलता है। ___ मूलकथा में वन में नल द्वारा दमयन्ती का त्याग बिना दोष दिखाये किया गया है, जो प्रधान नायक के चरित्र और रस का अपकर्षक है। किन्तु नाटक में ऐसे इतिवृत्त का विधान नहीं करना चाहिए जो प्रधान नायक के चरित्र का और रस का अपकर्षक हो। यदि वह वस्तुत: यथार्थ हो, तो भी उसकी अन्यथा रूप से कल्पना कर लेनी चाहिए। अत: नाटककार उसकी योजना चरित्र-चित्रण अथवा रस के अनुकूल करे अथवा मूलवृत्त के उस अंश को छोड़ ही दे। इसीलिए नलविलास नाटक में कवि ने कापालिक के प्रयोग के कारण धीरोदात्त नायक नल से दमयन्ती का परित्याग रूपी कथा भाग की योजना की है।
इसी प्रकार मूलकथा में वर्णित वन में नल द्वारा परित्याग कर देने के बाद नल का अन्वेषण करती हुई दमयन्ती का सार्थवाहों की भीड़ देखकर वहाँ जाना, वहाँ
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