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नलविलासे राजा- (सभयम्) किं तत्? कलहंसः- परिणयाननन्तरं दमयन्तीपरित्यागम्।
राजा- शान्तम्। ननु नलो यदि दमयन्ती परित्यजति, तदा निषधामभिजनं च। तदेहि शिबिरं व्रजामः।
( इति निष्क्रान्ताः सर्वे)
तृतीयोऽङ्कः।।
राजा- (भयपूर्वक) वह कैसे? कलहंस- विवाह हो जाने के बाद भी आप दमयन्ती का त्याग कर सकते हैं।
राजा- अमङ्गल का नाश हो। यदि नल दमयन्ती का त्याग कर सकता है तब तो नल अपने निषधदेश और कुटुम्ब को भी छोड़ सकता है। अत: आओ शिबिर(राजकीय तंबू) में चलें।
( यह कहकर सभी निकल जाते हैं)
तृतीय अङ्क समाप्त।।
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