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________________ तिओ सग्गो अह पमुदि-चित्त-चित्तलेहा२-करअल-गण्हिअ-पाणि-पल्लवाए । सहिअमहिअ-सोहिअं उसाए दणुअवई उवणेइ णं मुउंदं१३ ॥५७॥ मणि-कणअ-दुऊल-पंडु-छत्त४ द्धअ-रह-णाअ५-तुरंग-तुंग-सोहं । सरस-गुण-समत्थ-इथिओह विअर जोअअ-रित्थअंच से सो ॥५८॥ भणइ अ भअवं पडिच्छ पोत्तं सहरिअमेअमुसावइं पसण्णो । अवसु अ तुहहुत्त-सव्वभावं जणमिममिट्टगुणो सबंधुरखें ॥५९॥ इअ स कअ-पअक्खिणो८ णमंतो महु-महणं महणिज्जमुज्जलंतं.९ । परिरहिअ सिणेह-बाह-कंठो२०० दुहिदु-वरे सघरं विसेइ१०१ बाणो ॥६०॥ अथ प्रमुदितचित्तचित्रलेखाकरतलगृहीतपाणिपल्लवया । सहितमधिकशोभितमुषया दनुजपतिरुपानयदेनं मुकुन्दम् ॥५७॥ मणिकनकदुकूलपाण्डुच्छत्रध्वजरथनागतुरङ्गतुङ्गशोभम् । सरसगुणसमर्थितस्त्र्योधं व्यतरद्यौतकरिक्थकं चास्मै सः ॥५८॥ अभणच्च भगवन् प्रतीच्छ पौत्रं सभार्यमेतमुषापति प्रसन्नः । अव च तवाभिमुखसर्वभावं जनमिममिष्टगुणः सबन्धुराष्ट्रम् ॥५९॥ इति स कृतप्रदक्षिणो नमन् मधुमथनं महनीयमुज्ज्वलन्तम् । परिरभ्य स्नेहबाष्पकण्ठो दुहितृवरौ स्वगृहं विवेश बाणः ॥६०॥ (९१) Also पगुदिअ. (९२) Also चित्तलेखा. (९३) मुकुंदम्, (९४) पंडुचत्तं, also प्पंडुपत्तं (९५) Also णाह. (९६) Also सरससमगुणंधिअंथिओहं. (९७) Also विसरइ. (९८) Also कअवअंधिणो. (९९) Also गहणिज्जगुज्जळंतम्. (१००) Also कंढो. (१०१) Also पवेस. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001879
Book TitleUsaniruddham
Original Sutra AuthorN/A
AuthorV M Kulkarni
PublisherShardaben Chimanbhai Educational Research Centre
Publication Year1996
Total Pages178
LanguagePrakrit, Sanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size8 MB
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