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२. ८]
दारिद्देण विय महा-कुलाणि
५ भय - पूरिय - महिला - हियउं जैव पर-निंदा वि सुयण - वाणि
१०
सीयंति अज्ज महु अंगयाणि ।
थरहरइ ऊरू-जुयलं पितेव । न वह गई थक्किय महुं नियाणि । पर पर खलंति तिह मज्झ पाय । नरनाह - पुरिस आसन्न हूय ।
मगत जिह अत्थियहं वाय अइ-दारुण नाइ कयंत दूय
तो पुणविभणिउ कुल - उत्तरण मा भाहिसि भद्द अलं भरण |
१० को इह पाणेसु थिरे मज्झ
उप्पाड एक्कु वि वालु तुज्झ ।
आवास भतरि पइसरहि भद विसाउ परिच्चयहि । पडिवन्नउं सरणु सदोसह वि मई जीवंति न तुहुं मरहि ||७||
[4]
पतहे अणेहिं
जमदूय- सरिसेटिं उक्त्त खग्गेहिं
कोयंड- हत्थे
विलासवईकहा
वावल्ल- भल्लेर्हि तो तेहिं चउपासु
कलयलु करते ह
रे रे दुरायार पावि निधम्म
अवहरेवि पर दव्वु चंडस्स देवस्स
खंडेवि तुहुँ आ ता जाहिं कहिं दिठु जइ विसहि पायाल
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अइ-तुरिय- वेगेहिं । अइ-कुद्ध-पुरिसेहिं । पडरुद्ध - मग्गेहिं |
आबद्ध-मत्थे
।
झलहलय- सेल्लेहिं | वेढिय आवासु । अह भणिउ इय तेहिं । परिगलिय- मइसार |
कियविहल - निय- जम्म ।
चेवि जणु स | सिरि- विजयवम्मस्स ।
देवखत पुरिसाण |
तुहु अज्जु जमु रुछु | धरणिंद - फणजालि ।
२१
[७] ६. ला० वहइ मुद्द ज्जि धम्मद नियाणि ७. ला० मज्झु
[4] १. ला० एत्तह ६. ला० तहि ७ ला० इयरेहिं १० ला० अवहरिवि १२. ला०
तुंह १४. ला० फणजाले
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