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संधि-२
अह अन्नहिं दिवसि कुमारो तहो राय-कुलहो नीसरियउ । तक्खणे अणंगवइ-चेडीए पणमेविणु विन्नवियउ ॥१॥ अह सा कुमार अग्गइ कहेइ राणिय अणंगवइ इय भणेइ ।
जइ नाहिं गरुय-उबरोहु कोइ आगमणु करंतहं तुम्ह होइ । ५ ता एत्तिय दूरु कुमार एह अम्हह वि वयणु एत्तिउ करेह ।
तेणावि नरिंद-पियत्तणेण जंपिउ विसुद्ध-चित्तत्तणेण । अंबाए वि आण करेंतयस्स उवरोहु कवणु महु जंतयस्स । एककल्लउ चल्लिउ तो कुमारु संपत्तउ अंतेउर-दुवारु ।
तो फुरिउ वाम-लोयणु अणिडु उरोह-सील तह वि हु पविठु । १. सा दिट्ठ विमुक्काहरण-देह गंडस्थल-विउलिय-पत्तलेह ।
वामय-करग्ग-विणिविट्ठ-वयण परिमंद-ईसि-घोलंत नयण । तो पणमिय कुमरें सायरेण सा भणइ वयणि अपरिप्फुडेण । परितायहि तायहि मई कुमार हउं तुहु सरणागय सत्त-सार ।
तो जंपइ कुमरु विसन्न-मणु कसु पासह तुहु अंबि भउ । १५ सा मयण-वियारु करेवि भणइ मई अणंगु मारइ अदउ ॥१॥
[२] जदिवसह दिट्ठउ नयण-कंतु तुहुं भवणुज्जाणह नीसरंतु । तप्पभिइ पंचबाणु वि अणंगु दस-कोडिहिं विधइ मज्झ अंगु । ता मई तुहु अप्पिट निय-मणेण तुमए च्चिय बद्धउं गुण-गणेण ।
अणुराएं भरिउ सुनिन्भरण पज्जालिउ विरह महा-जरेण । ५ संगहिउ सिणेह-महा-गहेण सुपुरिस निय-संगम-ओसहेण ।
तिव्वयर-मयण-सर-सल्लियं ति निव्यायहि मज्झ सरीरयं ति । [1] १. पु. कुमारु तहे रायकुलह २. पु० भणंगवइचेडियए ५. ला० अम्हह वयणु १२.
पु० कुमरिं १३. ला० परितायहिं परितायहि कुमार १४, पु० अंबे [२] ३. पु० तुह, गुणिगणेण ४. ला० अणुराई
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