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प्रस्तावना
महापुराण- पुष्पदन्त, संपा-पी० एल० वैद्य, खण्ड-१-३,
____ माणिक्यचंद्र दिगम्बर जैन ग्रंथमाला,मुबई १९३७-४१. महाभारत--आरण्यकपर्व, संपा० विष्णु एस० सुखतनकर, १९४२ महाभारत-स्त्री पर्व,
१९५६. प्रका० भांडारकर ओरि० रि० इन्स्टिट्युट, पुना वर्णक समुच्चय-भा० १-२, संपा-डॉ. भोगीलाल ज० सांडेसरा,
___ म० स० विश्व विद्यालय, वडोदरा, १९५६-५९. वसुदेवहिंडी- खण्ड- १, संघदासगणि, संपा-मुनि चतुरविजय तथा पुण्यविजय
जैन आत्मानंद सभा, भावनगर, १९३०. वसुदेहिंडी-खण्ड-१ (गुजराती भाषान्तर)-डॉ. भो० ज० सांडेसरा,
जैन आत्मानंद सभा, भावनगर, १९४७ वागव्यापार-डॉ. हरिवल्लभ चू० भायाणी,
भारतीय विद्या भवन, मुंबई, १९५४ संस्कृत आलोचना-बलदेव उपाध्याय,
हिन्दी समिती, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनौ, १९५७. सज्झायमाला-प्रका० शा० चंदुलाल छगनलाल, सुरत, १९३५. सणतुकुमारचरिय-संपा. डो. एच० सी० भायाणी, प्रा० एम० सी० मोदी
प्रका० ला० द. भा० सं० विद्यामंदिर, अमदावाद, १९७४. समराच्च-कहा-हरिभद्रसूरि, संपा-जेकोबी,
एसियाटीक सोसायटी, कलकत्ता, १९२६. समराइच्च-कहा-संपा०प्रका० पं. भगवानदास, अमदावाद, १९३८.४२ समरादित्य केवळीनो रास ---पं० पद्मविजयजी,
प्रका० दोलतचंद हकमचंद, मुंबई, १८६६ समरादित्य-महाकथा---अनु० हेमसागरसूरि,
_ आनन्द-हेम ग्रन्थमाला, मुंबई, १९६६. समरादित्य-संक्षेप ----प्रद्युम्नसूरि, संपा० जेकोबी,
जैन धर्म प्रसारक सभा, अमदावाद, १९०६, साहित्य-दर्पण-विश्वनाथ,
निर्णय सागर प्रेस,मुंबई १९१५. सुदंरण-चरिउ-नयनन्दि, संपा. डा० हिरालाल जैन,
प्राकृत, जैनशास्र और अहिंसा शोध-संस्थान, वैशाली, १९७०. स्वयम्भूच्छन्द -संपा० ह० दा० बेलणकर,
राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर, १९६२. हरिभद्रके प्राकृत कथा साहित्यका आलोचनात्मक परिशीलन-डॉ० नेमिचन्द्र शास्त्री.
प्रा. जै० अहिंसा-शोध-संस्थान, वैशाली, १९६५.
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