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विलासबई कहा
पउमचरिउ — स्वयम्भू, संपा० र्डा० हरिवल्लभ चू० भायाणी, खंड-१-३, भारतीय विद्या भवन, मुंबई, १९५३-६०.
पट्टावली - समुच्चय, खण्ड- १, संपा० दर्शन विजयजी,
चारित्र स्मारक ग्रन्थमाला, विरमगाम, १९३३. परिशिष्ट - पर्व - हेमचन्द्राचार्य, संपा० हमन जेकोबी,
एसियाटीक सोसायटी, कलकत्ता. आवृत्ति - २. १९३१. पाइअ - सद्द-महण्णवो - हरगोविन्ददास त्रि० शेठ,
प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, वाराणसी, १९६३.
पासणाहचरिउ --- पद्मकीर्ति, संपा - प्रफुल्लकुमार मोदी,
प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, वाराणसी, १९६५. पुहइचंद - चरियं, शान्तिसूरि, सं० मुनि रमणिकविजयजी, प्रका० प्राकृत ग्रन्थ परिषद्, अमदावाद, १९७२. प्रभावकचरित्र भाषांतर - प्रभाचन्द्रसूरि (मूल), कल्याणविजयजी (अनु.), जैन आत्मानंद सभा, भावनगर, १९३१.
प्राकृत जैन कथा साहित्य - ड० जगदीशचन्द्र जैन,
ला० द० भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, अमदावाद - ९, १९७१.
प्राकृत पैंगलम् - खंड - १-२, संपा - डॉ० भोलाशंकर व्यास, प्राकृत टेक्स्ट सोसायटी, वाराणसी, १९५९-६२.
प्राकृत व्याकरण - हेमचन्द्राचार्य, संपा० पी० एल० वैद्य
बोम्बे संस्कृत - प्राकृत सीरीझ ( संशोधित आवृत्ति ) १९५८.
प्राकृत- सर्वस्वम् - मार्कण्डेय, संपा० डो० कृष्णचन्द्र आचार्य, प्राकृत टेक्ट सोसायटी, अमदावाद, १९६८. बृहत्कथाकोष - हरिषेण, संपा डॉ० ए० एन० उपाध्ये, भारतीय विद्या भवन, मुंबई, १९४३.
भविसयत्त कहा - धनपाल, संपा-सी० डी० दलाल, पी० डी० गुणे, ओरिएन्टल इन्स्टिट्युट, बडोदरा, १९२३. भारतीय विद्या पत्रिका, वर्ष ५, अंक - ४-६, १९४७ भारतीय विद्या भवन, मुंबई.
भारतीय संस्कृतिमें जैन धर्म का योगदान- डॉ० हिरालाल जैन, म० प्र० शा० सा० परिषद्, भोपाल, १९६०.
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महापुराण - जिनसेन, संपा - अनु० पं. पन्नालाल जैन, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, १९५१.
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