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________________ संदर्भ-ग्रंथ-सूचि अनुशीलनो-डॉ० हरिवल्लभ चू० भायाणी, पोप्युलर पब्लिशिंग हाउस, सुरत, १९६५. अपभ्रंश काव्यत्रयी-जिनदत्तसूरि, संपा-पं० ला० भ० गांधी, प्रका० ओरिएन्टल इन्स्टिट्युट, वडोदरा, १९२७. अपभ्रंश पाठावली मधुसूदन चि० मोदी, गुजरात वर्नाक्युलर सोसायटी, अमदावाद, १९३५. अपभ्रंश भाषा और साहित्य--डा. देवेन्द्रकुमार जैन, __ भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, १९६६. अपभ्रंश व्याकरण-डॉ० हरिवल्लभ चू० भायाणी, फार्बस गुजराती सभा, मुंबई, १ली आवृत्ति १९६०. अभिधान चिन्तामणि-हेमचन्द्राचार्य, व्या० पं० हरगोविन्द शास्त्री, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, १९६४. आख्यानकमणिकोशः-नेमिचन्द्रसूरि, संपा० मुनि पुण्यविजयजी, प्राकृत टेष्ट सोसायटी, वाराणसी, १९६२. उत्तरपुराण---गुणभद्र, संपा० अनु० पं० पन्नालाल जैन, ___ भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी, १९५४. ऋग्वेद-संहिता. प्रका० वैदिक संशोधन मण्डल, पुना, १९२३-५१ एकविंशति-स्थान-प्रकरण-सिद्धसेनसूर (साधारण' कवि) संपा० ___ मुनि देवविजय, प्रका० शेठ खीमचन्द फूलचन्द, सीनोर, १९२४. कथासरित्सागर-सोमदेव, संपा० अनु० ५० केदारनाथ शर्मा, खंड-१ बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् , पटना. १९६०-६१. कर्पूरमञ्जरी-राजशेखर, संपा-प्रका० प्रा० एन० जी सुरू, मुंबई, १९६०. कह-कोसु (कथा-कोश )-श्रीचन्द्र, संपा० डॉ० हिरालाल जैन, प्राकृत टेष्ट सोसायटा, अमदावाद, १९६९. काव्यादर्श-दण्डि, संपा० व्या० पं० रामचन्द्र मिश्र, चौखम्बा विद्या भवन, वाराणसी, १९५८. कुमारसालप्रतिबोध-सोमप्रभाचार्य, संपा० मुनि जिनविजयजी । ओरिएन्टल इन्स्टिट्युट, वडोदरा, १९२० कुवलयमाला भा. १-२-संपा० डॉ० ए. एन. उपाध्ये, भारतीय विद्या भवन, मुंबई. १९५९-१९७० गजरातनो मध्यकालिन राजपूत इतिहास-दुर्गाशंकर शास्त्री, खंड-१-२, गुजरात विद्यासभा, अमदावाद (आवृत्ति-२), १९५३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
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