________________
विलासवई-कहा विज्जुलेहा, उम्मूलिय-गिरि-काणणो य कालउ मेहु नहंगणे उट्ठिउ । आगम्पयन्तो जलनिहिं, उक्खिवन्तो तो अंबरि विज्जुलिय झलक्किय, महन्त कल्लोले, वियम्भिओ
जीविय-आस तेहिं नं मुक्किय । विसम-मारुओ, निवडियं असणि-वरिसं, तह गिरि-काणण-उम्मूलंतउ, उम्मेण्ठ-मत्त-हत्थी विय अणियमिय- तं जलनिहि-जलु हल्लावंतउ । गमणेणं अवसीहूयं जाणवतं,
अइ-महल्ल-कल्लोल खिवंतउ, विसण्णा निज्जामया ।
वाइउ विसम-पवणु सुमहंतउ । पृ० ४०३ निवडिउ असणि-वरिसु अइ दारुणु,
इय उप्याउ जाउ जण-मारणु । अणियमिय-गमणु जाणयं अणवसिहूयउ न मग्गु पावए । उम्मिठ-करि व्व मत्तउ खणि खणि सयल-दिसासु धावए ॥
(७) एत्थ खलु सुमिणय-संपत्तितुल्लाओ एत्थ य खलु सिमिणय-सन्निहाउ, रिद्धिओ, अमिलाण-कुसुममिव
रिद्धिउ मणुण्णउ बहुविहाउ । खणमेत्त-रमणीयं जोव्वर्ण,
अमिलाण-कुसुमसमु जोव्वणं पि, विज्जु-विलसियं पिव दिट्ठ-नट्ठाई सुमुहुत्तमेत्त-रमणीउ तं पि । सुहाई, अणिच्चा पियजण-समागम स्ति । खणमेत्त-दिट्ठ-नैट्ठाई सुहाई,
पृ० ४१७ जिह नहयले विज्जु-विलसियाई ।
पिय-जणहं समागम तिह अणिच्च, ठक्कुरहं भयट्ठहं जेम भिच्च ।
४.१४ (८) पहाणकाय-संगया सुयन्ध-गन्ध-गन्धिया । पहाण-काय-संगया, सुदिव्व-वत्थ-रंगया ।
अवाय-मल्ल-मण्डिया पइग हार-नन्दिमा ।। सुपंध-गंघ-गंधिया, विसिट्ठ-पुष्प-बंधिया । लसन्त-हेम-सुत्तया फुरन्त-आउह-प्पहा । मियंक-सोह्यिाणणा, जलंत-सीस-भूसणा । चलन्त-कण-कुण्डला जलन्त-सीस-भूमणा ॥ चलंत-कण-कुंडला, फुरंत-दित्ति-मंडला । निबद्ध जोवणुद्धुरा सुकंत-कन्न-संगया । लसंत-हेम-सुत्तया, सतेय-हार-जुत्तया । मियंक-सोहियाणणा नवारविन्द-सच्छहा ॥ फुरत-आउहप्पहा, नवारविंद-सच्छहा। समत्त-लक्खणकिया विचित्त-कामरूविणो। अवाय-मल्ल-मंडणा, विपक्ख-दोस-खंडणा। समुद्द-दुन्दुहि-स्सणा पणाम-संठियञ्जली ।। निबद्ध-जोवणुदुरा, विलास-सोह-बंधुरा । पृ० ४५२-५३ समत्त-लक्खणंकिया, जयम्मि जे असंकिया।।
विचित्त-कामरूविणो, सुसामिसाल-सेविणो । समुद्द-दुंदुभी-सणा, रणम्मि जे सुभीसणा ।
६.३२
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org