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८. ३३] विलासवईकहा
१३१ एहु समरसेणु एहु वाउवेउ पवणगइ एहु सहि अमिय-तेउ ।
एहु पुणु मयंगु सहि वाउमिन्तु पिंगलगंधारु सुधीर-चित्तु । ५ देवोसहु पिय-सहि एहु जाइ , एक्कक्कहं परिवारो वि माइ ।
एहु कंचणदाहु परिग्गहेण सहि चंडसीहु हउ समरि जेण । एहु कालजीहु एहु पुणु असोउ एहु सयलु अणंगरइस्स लोउ । अच्छरिउ पेच्छ इत्थ ए मयच्छि तक्खणेण परव्वस हय लच्छि ।
सा भणइ अउण्णह घरे न ठाइ पुन्नेहि सयंवर लच्छि जाइ । १० इय नायरियहिं वणिज्जमाणु संपत्तु राय-मंदिरि पहाणु ।
तं कणय-विणिम्मिउ बहुविह-भूसिउ नाणा-रयणुज्जोइयउ । उत्तुगु मुसोहणु तिहुयण-मोहणु मंदर-सरिसु पलोइयउ ॥३२॥
मिलिय बहल-कालायरु-धूमेण - छाइउ नाइ मेह-संदोहेण । मोत्तिय-हार-सरीहि सुतारेहि वरिसइ नाइ विमल-जल-धारेहिं । वज्जिय-मुरव-महुर-निग्घोसेहिं गज्जइ नाइ जणिय-सिहि-तोसेहिं ।
जच्च-कणय-राय जं परिसक्कहिं तं तर्हि नावइ विज्जु झलक्कर्हि । ५ धवल-संख-चामरेहि फुरंतिहिं सोहइ नाइ बलाया-पंतिहिं । पंच-वण्ण-मणि-किरणेहि नावइ सुरवइ-धणु य गयणे उठावइ । मरगय-मणि कोट्टिमेहि सिलिसई हरिया सद्दल तहि घर दीसइ । पउम-राय-मणि-खंडई सच्छई दीसहिं इंदगोव-सारिच्छई।
वलिय-विलासिणी-नेउर-रावेहि सहइ नाइ ददुरहं पलावेहि। १० निम्मल-फलिह-सिला-घडियंतई दीसहि नाइ जलाइं वहंतई ।
इय तत्थ अमोल्लइ पाउस-तुल्लइ कुमरु पविट्ठउ निव-भवणे ।
देवेहिं उम्माहिउ सुहड-समाहिउ पुणु पहुत्तु उज्जाण-वणे ॥३३॥ [३२] ४. ला० गिलु ५. ला. एवके वकह १०. ला० राय-मंदिरु ११. ला० पु०
भूमिउ, ला० रयणुज्जोवियं । १२. पु० पलोइयतु । [३३] ३. ला० जणियहिं सिहि - ४ ला परिसक्केहिं . . झलक्केहिं : ६. पु०-किरिणिहिं
७. पु० कोटिमहिं सीलीराई...सदल ११. पु० अमुललइ पाउसु १२ पु० देविहि
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