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________________ ७. २२] विलासवईकहा अह वेयडूढ-तलम्मि सपरिवारु आवासिउ । खंधावार- कमेण निय- सिविरं पि निवेसिउ ॥२२॥ [२३] तो तत्थ अजियबल - देवयाए सम्मं चिय आराहण - निमित्तु सव्वाओ वि विज्जा - देवयाओ कुमरस्स वियाणिय गुण-विसेस ५ आरु अणंगरइस्स जे वि विज्जा - सहस्स - परिवारियाए । उववासु कुमारिं किउ तिरन्तु । विविहाहिं सुपुज्जहिं पुज्जियाओ | विज्जाहर मेतिहिं गय असेस | for faय परिवारिहि मिलिय ते वि । जाणिउ अगरइणा वि एउ अह तेण अवज्जा - विलसिएण पेसिउ कुमारह मारण - निमित्त १० एत्यंतरि आइउ पर-बलं ति अणुदिणु बले सो विद्धि जाइ ससहरु सिय-पक्खि कलाहिं नाइ । जिह कुमरु पत्तु बहु-बल-समेउ । सेणावर दुम्मुहु सहुं बलेण ! अह सो वि पहुतु सदप-चित्तु । कुमरह बले सयल विलवलं । सन्नहिय सुहड सव्वे विखणेण हय समर भेरि सुगहिर- सरेण तो सुपओहरु सामलउं पर दूसउं हु अंगे सहिउ । तह मुट्ठि मज्झि सुकलत्तु जिह खग्ग-रयणु कुमरें गहिउ ॥ २३ ॥ [२४] तो पर-बलुतं आसन्नि हूउ तो कडय नाइ - दूरट्टिएण भो भुमि गोयर-गय-मणाहो सेणावइस्स सासणु सुणेहु ५ ति हउं अगर इ-वल्लहेण सो भइ काल - संचोइयाण किर भी अप्पडिय - सासणेण सरिसिय उपन्निय समर-सद्ध १०९ एत्थंतरि पत्तउ एक्कु दूउ । एरि विज्जाहर भणिय तेण । दुब्बुद्धिय विज्जाहर-भडाहो | जो बलह मज्झि पहु पत्तु एहु | पेसिउ सेणावइ-दुम्मुद्देण । तुम्हाण भूमि गोयर - गयाण | देवि अणगंर इ- नामएण | जा भुवणि न केण वि कह वि Jain Education International [२२] ११. पु० - तलम्मी [२३] २. पु० कुमारे किउ निरुत्तु । ४. ला मेस्तेहि ५. ला० परिवारेहि ६. ला० विद्धि जाउ ९ ला० कुमार-मारण- ११. ला० भय समर १२. पु० सुपउहरु, ला० पर दूसओ... सहियउ । १३. ला० कुमरिं [२४] ४. ला० सासण ८. पु० भुवणे... कहिं वि For Private & Personal Use Only लद्ध | www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
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