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६. ३१ ]
आयासह निर्वाडय कुसुम-बुद्धि जय जय जय त्ति एरिसु विसालु ५ गाइउ कल कंठिहिं किन्नरीहिं
अह are fear वेलयाए बहु- देवय परिगय उग्ग-तेय सिह नावइ पज्जलियानलस्स जोन्हा विय छण-मयलंछणस्स १० भणियं च तीए अहो ते विवेउ अहो पुरिसु अहो उपभोगु तुज्झ ता एरिस उत्तम सत्तएण ता वच्छ जावु उवसंवरेहि तेणावि बिहीसिय- संकिरण
विलासवई कहा
पहाण - काय - संगया
सुगंध-गंध-गंधिया
मियंक - सोहियाणणा
१५ भयवर अप्पणमेविणु दिन्नउ मंतह जावु से संपन्नउ | उट्ठेविणु सा पणमिय पच्छइ ता विज्जाहर सेणि नियच्छइ ॥ ३१ ॥
[३२]
चलंत-कण्ण-कुंडला
५ लसंत - हेम- सुत्तया फुरंत आ उहप्पहा अवाय मल्ल-मंडणा निबद्ध-जोव्वणुदधुदुरा समत्त - लक्खणं किया
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नीसेसहं भूयहं हूय तुहि । कलयल-रखु उट्टिउ एक्कु कालु | नच्चि सचोज्जु विज्जाहरीहिं । उज्जोविउ नहयलु वर पहाए । संपत्तउ अजियबल सिग्घवेय । दिद्विय पह व्व सारय - रविस्स । सिरि जिह वसंत-कमलायरस्स । ववसाउ वच्छ निच्छय-समेउ । अहो निब्भर - भावण उवरि मज्झ । हउं तुझ सिद्ध अवियपिण । मातु विष्णु किंचि वि करेहि । जावेण किंचि असमाणिएण ।
सुदिव्व-वत्थ-रंगया | विसिद्ध- पुण्फ बंधया । जलंत - सीस-भूसा । फुरंत - दित्ति-मंडला |
सतेय-हार-जुत्तया । नवरविंद सच्छा |
विपक्ख- दोस - खंडणा । विलास सोह-बंधुरा जयम्मि जे असंकिया ।
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[३१] ३. पु० भूयह. ला०हइ ४. ला०- ख ५. ला• कलकंठेहिं ७. पु० बहु दोवय परि
मिय, ला०- परमिय १० पु० विवेो ववसाओ... समेओ । ११. ला० पोरिस १२. पु०
अविपण १४. पु० किं पि १५ ला० संपुन्नउ । १६. पु० पच्छए [३२] ४. दत्ति-मंडला । ७
ला० आवाय मल्ल मंडला वियक्ख-दोस ९. ला० जे य संकिया
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