________________
साहारणकविरइया ऊसिय-तिभाय संजमिय-घाय। मणि-फुरिय-तेय तडि-तरल-वेय। गुरु-धमणि-घोस अइ-परम-रोस ।
उब्भड-कडप्प धावंति सप्प । कुमरु तेहिं सव्वंगेहिं डसियउ तह वि न किंचि :चित्ति उत्तसियउ । छड्डेवि तइ दिसो दिसि पट्ठिय अन्न बिहीसिय ताव समुट्ठिय ॥२९॥
जाव अप्पतक्किएण केण ई अमाणुसेण । नद्र-चंद-सूरयम्मि घोर-नरय-रूवयम्मि । पायाले व्व भीसणम्मि घल्लिओ य कूवयम्मि । तम्मि चेव भीसणाउ पजलंत-लोयणाउ । दाढा-कोडि-भासुरेहिं लोलमाण-जीहएहिं । विप्फुरंत-ओढएहिं भीसणेहिं वयणएहि । कवाल-ओमालियाहिं भीसणा सिरोहराहि । नाहि-मंडल-गएहिं थणेहिं पलंबएहिं । लंबत-महोयरीउ समंत-पलोइरीउ । सूण-मडय-विन्भमेहि थूलएहि उरुएहिं । हड्ड-चम्म-मेत्तियाहिं सुकियाहिं जंघियाहि । कप्पतीउ भीसणाणि माणुस-कलेवराणि । जम-जीहा-तुल्लियाहिं तिक्खियाहिं कत्तियाहि ।
छिंद भिंद भासियाउ रक्खसिओ धावियाउ । १५ तह वि य उत्तम-सत्त-समिद्धउ किं पि कुमारु न चित्ति खुद्धउ ।
तो उसंत असेप बिहीसिय विज्जए सुंदर भाव पयासिय ॥३०॥
तो अद्ध जाम अवसेसयाए रयणीए कमेण य वोलियाए ।
जा मंतह जावु समत्तपाउ तो सुरहि-सुसीयलु वाइ वाउ । २९] १२. ला० नाइ दिसो विभीसिय [३०] ३. पु० घल्लिऊण कूवयिम्म ८.ला० पलंबिएहि १३. पु० जम-जोहा-१५ पु० चित्ते [३१] २. जाम्वह तह जावु
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org