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________________ साहारणकइविरइया ५ नेहो हि भवाडवि-सत्थवाहु नेहो हि सयल-दोसहं पवाहु । नेहेण य जे अभिभूय पाणि परिणामु न पेच्छहिं ते नियाणि । कालोच्चिउ कज न जोवयंति सुह-कारणु धम्मु न सेवयंति । जीविउ कुलु सील परिच्चयंति दारुणु विवाउ नालोच्चयंति । परमत्थु वि तस्स न पेच्छयंति नेहेण अंध जिह अच्छयंति । १० लोहह पंजरि घल्लिय कत्थ वि सीह जेंव सोयंति समत्थ वि । तिह पुरिसा वि हु सत्त-समिद्धा अच्छहि दुत्तर-नेह-निबद्धा ॥४॥ विसयम्मि वि एरिसु ताव एहु किं पुणु अविसय-पडिलग्गु नेहु । विसयम्मि नेहु जीवंतएण अविसय-सिणेहु पुणु सहुं मुएण । ता भो सुपुरिस छड्डहि विसाउ अविसय-सिणेहु तुह खयह जाउ । जोवेहि विवेग-पई लेवि अन्नाण-तिमिरभरु अवहरेवि । ५ किह वा विचित्त-कम्मासयाण जीवाण विविह-भव-निवडियाण । साहेहि पडण-अणुभावएण गइ एकक होइ सहुं संगमेण । तहविह-परिणाम-अभावएण तो किं इमिणा आरंभिएण । अहिलसियह साहणि पुणु उवाउ इह दाणु सील तवु गुण-सहाउ । दिट्ठउ परमत्थ-वियाणएहिं सव्वेहि सिद्धंत-कहाणएहिं । १० न य दिट्ठउ अन्नु उवाउ कोइ अहिलसिय सिद्ध किर जेण होइ । एगोवगयउ पीइए पडेविणु भिन्नउं तह पणिहाणु करेविणु । एत्थु वि निसुणसु विसरिस-चित्तई गहवइरियाई खयह संपत्तई ॥५॥ निमुणहि जं वित्तु अईय-कालि एत्थेव मलय-मंडल-विसालि । कणियार-सिवम्मि य सन्निवेसि साभिलउ नाम गहवइ अहेसि । नामेण य तसु अमणाभिराम आसि च्चिय गेहिणि सीह नाम । भत्तारु इछु सो पुण इमीए जीवाउ वि वल्लहु गेहिणीए । [४] ५. पु० महाडवि-१०. ला० पंजरे ५१. ला० दुत्तरे -ह-बद्धा [५] ३. ला० विवाउ ४. पु० जोवेहि विवेगि पईउ...भवहरेह ८. ला० साहणे ९. पु० सव्विहिं [६] १. ला० अईय-काले ...मंडले विसाले Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
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