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________________ ५.८ ] पिउ पेच्छि पर्यंगु पहठ-मणा पवणुद्धय-पयलिय - पत्त-करा ५ केसर - सुवण्ण - गहियाहरणी चक्काय-मिहुण-संजोय करे करणी करेविणु सुत्थियई सो कुमरु विलासवई - सहिओ इय निच्चु विणय करणुज्जयहं १० मय दिवस के वि अह अन्न दिने विलासवई कहा गहिय तह फणसाइय-फलई सा पुण विक्खित्त विलासवई अह कोमल पवण- पर्यंपियहिं सुकुमाल - सरीर-पलोहियहिं ५ उभिन्न कुसुम - कलियाधरहिं नाणावह समिहाओ कुमरें गहियाओ । सुद्धभूमि सजडेहिं दब्भेहिं सहियाओ || ७ || [2] बहु-कुसुम - गंध-लोहिल्लए हिं अह तीए कुसुम - छज्जिय भरिया तो जाव न कुसुमोच्चउ मुयई हउं नयण-मोहु पड़ पाउरमि १० पच्छन्नउ जोवमि किं करइ ६३ पविसिय सिय-पंकय-वयणा । महुर- झंकार - सुगीय-सरा | नारि व्व नाइ नच्चइ नलिणी । वर्द्धतइ तत्थ पहायभरे । तो तावस- आसमे पत्थियई । तावसि तावस- चरण नमिओ । संपाडिय - मुणियण - कज्जयहं । कुस समिह निमित्तु गयाई वणे । Jain Education International उच्चिणियई कुसुमई उज्जलाई । सरिए विन कुमुमोच्उ मुयई । कुसुमोच्चयम्मि कर - चप्पियहिं । आलिंगिय नावइ वण-लयहिं । नं जोविय रोमंचिय-तरुहिं | नं वेढिय भमर - जुवाणएहिं । वच्चम्ह एहि कुमरिं भणिया । तो कुमरु एउ मणि चिंतवई । तो विप्पलंभु एयहि करमि । मई विणु उप्पज्जइ किं व रई । आसन्ने वि ठिएण सो पडु पावरियउ । नासउ जिह अहमेणं हि तें अंतरियउ ॥८॥ [७] ५. पु० - गहियाभरणा ६. ला० वटतए .... पहायहरे ८० ला० तो कुमरु ९. पु०. - करणुज्जुयहं .... मुणिवर- ११. ला० कुमरिं १२ ला० सऊडेहिं [4] १. पु० गहियह.... उठिवणिवइ ३. पु० पर्यंपिएहिं ७. ला० अह वीय कुसुम- ८. ला० कुसुमुच्चउ....मणे, पु० चिंतवेई ९ ला० पाउरमी, पु० पायरमो... एयह करमी १०. ५० उप्पण्णइ किं धरेइ १२. ला० नास वि जिह For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
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