SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ . . ४. २१] विलासवईकहा तो आहारु न अहिलसइ पाणवित्ति कह कह वि कराविय । नेविण निय-आसमह पइ पच्छा कुलवईहि मई दाविय ॥१०॥ विणएण पणय कुलवइहि सा वि अहिणंदिय सायरु भयवया वि । मज्झण्हावस्सउ किउ असेसु तो सा मई पुच्छिय वत्त सेसु। वच्छे कहि तुम्हहं तणिय वत्ति भयवइ निवासु पुरि तामलित्ति । मई पुच्छिय का तुहुँ कहिं पयट्ट किह एत्तिय वाहिय जलहि वट्ट । ५ तो तीए सुदीहरु नीससेवि अहिययरु न सकिउ परिकहेवि । मई चिंतिउ गरुय-कुलप्पसूय एह नूण का वि वर राय-धूय । ता किह अत्ताणउं परिकहेइ महु पुरउ लज्ज गरुइय वहेइ । ता किं मह एयए पुच्छ्यिाए पुच्छिमि वइयरु कुलवइ इमाए । वासरु वि जाव वोलिउ कमेण किउ संझावस्सउ मुणिजणेण । १० तयणंतर गय कुलवइहि पासि सा पुणु तहिं झाण-निविठु आसि । पणमेविणु पुच्छिउ महु कहेह भयवं किर कन्नय कवण एह । कत्थ जाय किह नीसरिय किह अवत्थ संपाविय एरिस । किं वा अग्गइ पाविसइ भयवं कम्महं परिणइ केरिस ॥११॥ [१२] उवओगु देवि तो मज्झु तेण साहियउं तवस्स पभावएण । एह तामलित्ति-नयरिहिं पसूय ईसाणचंद-नरनाह-धूय । भत्तार-सिणेह-परब्बसाए एरिस अवत्थ पाविय इमाए । मई भणिउ किन्न एह कन्नय त्ति तिं जंपिउ कन्नय दव्वउ त्ति । ५ भावेण य पुण भत्तार-जुत्त मई पुणरवि पुच्छिउ किह भयंत । भयवंति साहिउ सुण इमाए निर-घर-वायायण-संठियाए । वट्टतइ मयण-महूसवम्मि चल्लिउ अणंगनंदण-वणम्मि । कोला-निमित्तु मित्तेहि जुत्तु जसवम्म-नराहिव तणउ पुत्तु । . [११] ३. ला. कह ... त्ति...तामलत्ति ४. ला० कहि एत्तिय ८. ला० एयइ ९. ला० वोलिय १४. ला० कम्मह [१२] २. पु० इह, ला० इमाई ३. ला० -सेणेह- ४. ला० ते ५. पु० भत्तारजुस्तु ६. ला० भासिट सुण ८. ला० मित्तेहि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001874
Book TitleVilasvaikaha
Original Sutra AuthorSadharan
AuthorR M Shah
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1977
Total Pages310
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy