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३. ११ ]
विलासवई कहा
एत्थंतरि रयणि वोलिया उग्गउ दिणयरु कमल- बोहो । ता एय कमेण पाविओ एस पडो नयणाण मोहणो ॥ ९ ॥ [9.]
कुमरु भइ मित्त मण -हारिय अह सो सोहy us fruहेविणु आऊच्छेवि विसण्णय चित्तह दिन्नासीस तेहिं बहु मन्निय ५ नाणाविह - बोहित्य-समाउलि
दिउं जाणवत्तु तं भरियउं नाणा - भंड- कलिउ जण-मालिउ तो सरदस्ति
सविणउ किउ पणिवाउ कुमारह १० ईसरदत्त मणोरहदति
सत्थवाह- सुय अम्हहं सामिय जीवि बंधव मित्त वयंसय सो जंपर जारिसा इमे तुह वयंस किं पुणरुत्तएण | म पि हु तारिसा इमे न य कायव्वउ खोहु चित्तएण ॥ १० ॥ [११]
पडरयणह उपपत्ति विसारिय । निय-परिणय-मंठ बंधेविणु । परियणु सयल मणोरहदत्तह | चलिय मणोरहदत्त - समन्निय । ि पहुत्त तिन्नि वि वेलाउलि । सुर - विमाणु नाव अवयरिय ं । वैजयंति - झयमालोयालिउ । वह सामिपण तुरंर्ति । दिन्न आसणु सपरिवारह | भणिउ उ करयल जोडंतिं । मई तुह हथि हत्थु पणामिय । ता तुम्हहिं सुंदरु दट्ठव्वय ।
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तो कुमारु वसुभूई सहियउ तर्हि वर जाणवत्ति आरूहियउ । ऊसिउ सिड जलहिहिं बलि घल्लिउ दिसि सम्मुह निज्जामई मेल्लिउ | तो पणमिवि निब्भरु रोवंतउ से मणोरहदत्तु नियत्तउ । अह तं जाणवत्तु संचल्लउ सील - दीवह सम्मुहु वहिल्लउ । ५ इय तहिं जाणवत्ति पवईतर तेरसमs वासरि संपत्तए । कालउ मेहु नहंगणे उडिउ ।
सव्वह कालु नाइ उक्कंठिउ
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[९] ११. ला० कमल-पोहणो
[१०] २. पु० गेहेविणु, पु० -गंठिहिं बंधेविणु ३. पु० विसण्णहमित्तह ५. पु० पत्त गिव्हिषि ६. ला० दिठं १०. ला मणोरहदत्तें.. .. जोडेंति १२. ला० तुम्हेंहिं [११] १. ला० जाणवत्त २. पु० उब्भिउ सिड, ला० पलि घल्लिउ ...... सम्मुह निज्जामइ ५. ला० जाणवत्ते पवहंत .. ...... वासरे संपत्तई. ६. ला० सव्वहं
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