________________
५४
प्रथमः पादः
स्वर के आगे होने वाले, असंयुक्त, अनादि ठ का ढ होता है। उदा० --मढो... पढइ । स्वर के आगे होने पर ही ( का ढ होता है, पीछे अनुस्वार हो, तो ठ का ढ नहीं होता है। उदा०-) वेकुंठो । असंयुक्त होने पर ही ( ठ का ढ होता है, संयुक्त होने पर नहीं होता है । उदा०-) चिट्ठइ । अनादि होने पर ही ( ठ का ढ होता है; आदि होने पर नहीं होता है । उदा०-) हिअए ठाइ।।
अंकोठे ल्लः ॥ २० ॥ अंकोठे ठस्य द्विरुक्तौ लो भवति । अंकोल्ल-तेल्ल-तुप्पं । अंकोठ शब्द में ठ का द्वित्वयुक्त ल (=ल्ल) होता है । उदा-अंकोल्लतेल्लतुप्पं ।
पिठरे हो वा रश्च डः ।। २०१॥ पिठरे ठस्य हो वा भवति तत्संनियोगे च रस्य डो भवति । पिहडो। पिढरो।
पिठर शब्द में ठ का ह विकल्प से होता है और उसके सानिध्य में र का ड होता है । उदा०--पिहडो, पिढरो।
डो लः ॥ २०२॥ स्वरात् परस्यासंयुक्तस्यानादेर्डस्य प्रायो लो भवति । वडवामुखम् । वलयामुहं । गरुलो । तलायं। कीलइ। स्वरादित्येव । मोडे। कोंडं। असंयुक्तस्येत्येव । खग्गो। अनादेरित्येव । रमई डिम्भो। प्रायोग्रहणात् । क्वचिद् विकल्पः । 'वलिसं वडिसं । दालिमं दाडिमं । गुलो गुडो। णाली णाडो। णलं. णडं। आमेलो आवेलो। क्वचित्र भवत्येव । -निविडं । गउडो। नीडं । उड। तडी।
स्वर के आगे होने वाले, अनादि ड का प्रायः ल होता है । उदा०-बडवामुलं... कीलइ । स्वर के आगे होने पर ही ( ड का ल होता है। पीछे अनुस्वार होने पर नहीं होता है । उदा०–मोंडं, कोंडं । असंयुक्त होने पर ही ( ड का ल होता है, संयुक्त होने पर मही होता है । उदा०-) खग्गो। अनादि होने पर ही ( ड का ल होता है मादि होने पर नहीं होता है । उदा० --- ) रमइ डिम्भो । प्रायः ऐसा निर्देश होने से क्वचित् विकल्प से (ड का ल होता है। उदा.- वलिसं.... .''आवेडो क्वचित् ( द का ल ) होता ही नहीं है । उदा०-निबिडं... ..."तडी। १. अंकोठतैलधृतम् । २. क्रमसे:-- गइड । तडाग । क्रोडति ।। ३. क्रमसे:--मुण्ड । कुण्ड । ४. खड्ग ।
५. रमते डिम्भः । ६. बडिश । दाडिम । गुड । नाडौ । ७. क्रम से :-नड आपीड । ८. क्रम से :-निबिड । गौड । पीडित । नीड । उडु । तडी (+नटी)।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org