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प्राकृतम्बाकरणे
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आगे संयोग (= संयुक्त व्यञ्जन) होने पर, आदि उ का ओ होता है। उदा.तोण्डं....."वोक्तं ।
कुतूहले वा हस्वश्च ॥ ११७॥ कुतहलशब्दे उत ओद् वा भवति तत्संनियोगे ह्रस्वश्च वा। कोऊहलं कुऊहलं कोउहल्लं ।
कुतूहल शब्द में उ का ओ विकल्प से होता है और उसके सानिध्य में (तू में से दीर्घ क ) विकल्प से ह्रस्व होता है । उदा०-कोकहल... .. कोउहल्लं।
अदूतः सूक्ष्मे वा ॥ ११८ ॥ सूक्ष्मशब्दे ऊतोद् वा भवति । सण्हं सुण्हं । आर्षे । सुहुमं ।
सूक्ष्म शब्द में ऊ का अ विकल्प से होता है । उदा.-सण्हं, अहं । आर्ष प्राकृत में ( मात्र ) सुहमं ( ऐसा सूक्ष्म शब्द का वर्णान्तर होता है )।
दुकूले वा लश्च दिवः ॥ ११६ ॥ दुकूलशब्दे ऊकारस्य अस्वं वा भवति तत्संनियोगे च लकारो दिवभवति । दुअल्लं दुऊलं । आर्षे । दुगुल्लं ।
दुकूल शब्द में ऊकार का अ विकल्प से होता है और उसके सानिध्य में लकार का द्वित्व होता है । उदा० --- दुअल्लं, दुअलं । आर्ण प्राकृत में ( दुफूल का वर्णान्तर ) दुगुल्लं ( होता है )।
ईर्वोद्व्यूढे ॥ १२० ॥ उद्व्यूढशब्दे ऊत ईत्वं वा भवति । उव्वीढं उब्बूढं । उद्व्यूढ शब्द में ऊ का ई विकल्प से होता है । उदा०---उब्बीढं, उव्वुढं ।
उभ्र-हनुमत्कण्डूयवातूले ॥ १२१॥ एषु ऊत उत्वं भवति । भुमया। हणुमन्तो । कण्डुअइ। वाउलो।
भ्र , हनूमत्, कण्डूय और वातूल शब्दों में ऊ का उ होता है। उदा.-भुमया ...."बाउलो।
मधूके वा ॥ १२२ ॥ मधूकशब्दे ऊत उद् वा भवति । महुअं महूअं । मधूक शब्द में ऊ का उ विकल्प से होता है । उदा.-महुअं,
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