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________________ प्राकृतव्याकरण-प्रथमपाद ३३५ उदा०-मा+य= मेय । अन्य 'य' प्रत्ययों से इस य का भिन्नत्व दिखाने के लिए यहां कृद् य ऐसा कहा गया है । बिइज्ज-मराठी में बीज । १.२५. डाह--डिन् आह । डित् के लिए सूत्र १.३७ ऊपर की टिप्पणी देखिए । १.२५४ अनादि असंयुक्त र का ल होना एक महत्त्वपूर्ण वर्णान्तर है। चरणशब्दस्य पदार्थवृत्तेः-पाव पाद अर्थ में चरण शब्द प्रयुक्त किए जाने पर, उसमें र का ल होता है। भ्रमरे स-सन्नियोगे एव-सत्र १.२४४ के अनुसार भ्रमर शब्द में म का स होता है; अब, इस 'स' के सानिध्य होने पर हो भ्रमर शब्द में र का ल होता है। आषं... .."द्यपि-आर्ष प्राकृत में द्वादशांग शब्द से दुवाल संग वर्णान्तर होता है । यहाँ र का ल नहीं हुआ है। द का ल हुआ है; इसलिए यह उदाहरण सच कहे तो तो सूत्र १.२२१ के नीचे आना आवश्यक था। १.२५५ थोर-मराठी में थोर । सूत्र १.१२४ के अनुसार स्थूल का पहले थोल वर्णान्तर होता है; अनन्तर प्रस्तुत सूत्रानुसार ल का र होकर थोर वर्णान्तर सिद्ध होता है । कथं थूल भदो-यदि स्थूल शब्द में ल का र होता है, तो थूल भद्द वर्णान्तर कैसे होता है, ऐसा प्रश्न यहाँ है। उसका उत्तर स्थूरस्य'.. .. भविष्यति' इस अगले वाक्य में है। १.२५८ शबर शब्द में, सूत्र १.२३७ के अनुसार व का थ होता है । अब इस व का म होता है, ऐसा प्रस्तुत सूत्र में कहता है । १२६० श औ ष का स होना एक महत्त्वपूर्ण वर्णान्तर है। सद्द-मराठी में साद । सुद्ध-ग्रामीय मराठी में सुद्द, सुद्ध । १.२६१ णकारान्तो ह :--णकार से युक्त ह यानी एह । सुहा-मराठी मे सून । १.२६२ दह-मराठी में दहा । १.२६३ छावो-मराठी में छावा । १२६७-२७१ इन सुत्रों में वर्ण लोप और सवर्ण लोप प्रक्रियाओं के उदाहरण दिए हैं। १.२६७ राउलं-मराठी में राउल । १.२६८ पारो-मराठी में पार । १..६९ सहिआ-सहृदयाः। 'हिअस्स --- हृदयस्य । इन दो भी शब्दों में स्वर के सह य का लोप हुआ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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