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प्राकृतव्याकरण-प्रथमपाद
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(/ अस्मद् ) सर्वनाम का प्रथमा अ० व० । इमा-इम (Vइदम् ) सर्वनाम का स्रोलिंगी प्रथमा ए० व० । अहं-अम्ह सर्वनाम का प्रथमा ए० व० । एत्थ-सूत्र २१६१, १५७ देखिए ।
१.४१ अपि-इस अव्यय के पि, वि, अवि ऐसे वर्णान्तर होते हैं।
१.४२ इति-इस अव्यय के ति, ति, इअ ऐसे वर्णान्तर होते हैं। इअ-सूत्र १.९१ देखिए ।
१.४३ प्राकृतलक्षण-प्राकृतव्याकरण । याद्याः ! य् + आद्याः )-इत्यादि । यानी सूत्र में कहे हुए य र व् इत्यादि वर्ण । उपरि अधो वा-संयुक्त व्यञ्जन में प्रथम अवयव अथवा द्वितीय अवयव होना । इस सूत्र में, य इत्यादि व्यञ्जनों के आगे दिए हुए संयुक्त व्यञ्जन विचार में लिए हैं:-इय, श्र, श, श्व, श; ष्य, र्ष, व, ष्ष; स्य, स्र, स्व, स्स । तेषामादे..... भवति--संयुक्त व्यञ्जन में से एक अवयव का लोप होने पर, उसके निकट पूर्व ह्रस्व स्वर दीर्घ होता है। उस कारण से शब्द की मात्राएं कायम रहती हैं। उदा०-पश्यति-पस्सइ-पासइ । न दोर्घात.. द्वित्वाभावः'अनादौ द्वित्वम्' ( सूत्र २.८९ ) सूत्रानुसार, संयुक्त व्यञ्जन में से एक अवयव का लोप होने के बाद शेष बाकी अनादि व्यञ्जन का द्वित्व होता है। उदा०-अर्कअ० क् अ-अक्क्म -अक्क । परंतु संयुक्त व्यञ्जन के निकट पूर्व दीर्घ स्वर हो, तो यह द्वित्व नहीं होता है, ऐसा 'दोर्धानुस्वारात्' ( सत्र २.९२ ) सूत्र में कहा है। उदा० ---- ईश्वर = इसर । अब, प्रस्सुत स्थान पर, श्य इत्यादि संयुक व्यञ्जन में, एक अवयव का लोप होने पर, निकटपूर्व स्वर दीर्घ होता है; इसलिए यहां दिए हुए उदाहरणों में स्वभावतः द्वित्व का अभाव है।
१.४४-१२५ प्राकृत में अ, आ, इ, ई, उ, ऊ वर्ण होते हैं । तथापि वे जिन शब्दों में होते हैं, उनमें से कुछ संस्कृत शब्दों का वर्णान्तर होते समय, इन स्वरों में भी कुछ विकार होते हैं। उनमें से अ के विकार सूत्र ४४-६६, आ के विकार सूत्र ६५-८३, इ के विकार सूत्र ८५-९८, ई के विकार सूत्र १९-१ ६, '3 के विकार सूत्र १०७.११७, और ऊ के छिकार मूत्र ११८-२.५ इन मंत्रों में कहे हुए हैं ।
१.४४ आकृतिगणो..... भवति-समान रूप होने वाले शब्द समूह का गण किया जाता है। उनमें से एक शब्द से उस गण को नाम दिया जता है । उदासमृदयादिगण : समुद्ध्यादि आकृतगण है। जिस गण के कुछ शब्द वाङ्मयीन प्रयोग से निश्चित किए जाते हैं यह आकृतिगण । इसलिए यहां समृद्ध्याग क शब्द कहते समय,न दिए हुए ऐसे अस्पर्श इत्यादि शब्द भी इस गण में अंतर्भूताते हैं, और उन्हें यहां दिया हआ नियम लगता है।
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