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________________ २१८ चतुषः पादः पिषेणिवह-णिरिणास-णिरिणज्ज-रोश्च-चड्डाः ॥ १८५।। पिषेरेते पञ्चादेशा भवन्ति वा । णिवहइ। णिरिणासह। णिरिणज्जइ। रोश्चई । चड्डइ । पक्षे । पीसइ । पिष धातु को णिवह, णिरिणास, णिरिणज्ज, रोञ्च और चड्ड ये पांच आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-णिवहइ 'चड्डइ । (विकल्प-पक्ष में):-~-पीसइ । भषेमुक्कः ॥ १८६ ॥ भषेर्भुक्क इत्यादेशो वा भवति । भुक्कई । भसइ ! भष धातु को भुक्क ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा०--भुक्कइ । (विकल्प-पक्ष में):-भसइ । कृषः कड्ढ-साअड्ढाश्चाणच्छायच्छाइञ्छाः ॥ १८७॥ कृषेरेते षडादेशा वा भवन्ति । कडढई । सा अड्डई । अश्वइ । अणच्छइ । अयञ्छ । आइञ्छ । पक्षे। करिसइ । कृष् धातु को कड्ढ, आसड्ढ, मञ्च, अणच्छ, अयञ्छ और आइञ्छ ऐसे ये छः आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-कड्ढ.''आइछह । ( विकल्प-पक्ष में ):करिसइ। असावक्खोडः ॥ १८८॥ असिविषयस्य कृषेरक्खोड इत्यादेशो भवति । अक्खोडेइ। असि कोशात् कर्षति इत्यर्थः । असि-विषयक कृष् धातु को अक्लोड ऐसा आदेश होता है। उदा०-अक्खोडेइ (यानी) म्यान से तलवार निकालता है, ऐसा अर्थ है । गवेषेण्दुल्ल-ढण्ढोल्ल-गमेस-घत्ताः ॥ १८९॥ गवेषेरेते चत्वार आदेशा वा भवन्ति । ढुण्ढुल्लइ । ढण्ढोल्लइ । गमेसइ। धत्तइ। गवेसइ। गवेष धातु को ढुण्ढुल्ल, ढण्ढाल्ल, गमेस ओर धत्त ऐसे ये चार आदेश विकल्प से होते हैं । उदा.---ढुण्ढुल्लइ .... 'धत्तइ । (विकल्प पक्ष में):--गवेसइ । श्लिषेः सामग्गावयास-परिअन्ताः ॥ १९ ॥ श्लिष्यतेरेते त्रय आदेशा वा भवन्ति । सामग्गइ। अवयासह। परिअन्तइ । सिलेसइ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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