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________________ प्राकृव्याकरणे श्लिष्यति ( श्लिष् ) धातु को ( सामग्ग, अवयास और परिअन्त ) ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-सामग्गइ ... "परिअन्तइ । (विकल्प-पक्ष में):सिलेसइ। म्रक्षेश्योप्पडः ॥ १९१ ।। म्रक्षेश्वोप्पड इत्यादेशो वा भवति । चोप्पडइ । मक्खइ । म्रक्ष् धातु को चोपड ऐसा आदेश विकल्प से होता है। उदा० .चोपडइ । ( विकल्प-पक्ष में :--मक्खइ । काक्षेराहाहिलङ्घाहिल-जच्च-त्रम्झ-मह-सिह-विलुम्पाः ।। १९२ ।। काङ्क्षतेरेतेरष्टादेशा वा भवन्ति । आहइ। अहिलङ्घइ । अहिलङ्खइ । वच्चइ । वम्फइ । महई । सिहइ । विलुम्पइ । कङ्खइ। काङ्क्षति ( काश् । धातु को आह, अहिलङ्घ, अहिलङ्ख, वच्च, वम्फ, मह, सिह और विलुम्प ऐसे ये आठ आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-आइ ...... विलुम्मइ । ( विकल्प---पक्ष में ):-कलइ । प्रतीक्षेः सामय-विहीर-विरमालाः ।। १९३ ।। प्रतीक्षेरेते त्रय आदेशा वा भवन्ति । सामथइ। विहीरइ। विरमालइ । पडिक्खइ। प्रतीक्ष् धातु को सामय, विहरि और विरमाल ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं। उदा.--सामयइ....."विरमालइ ( विकल्प-पक्ष में ):-पडिक्खइ । तक्षेस्तच्छ-चच्छ-रम्प-रम्फाः ॥ १९४ ॥ तक्षेरेते चत्वार आदेशा वा भवन्ति । तच्छइ। चच्छइ । रम्पइ । रम्फइ । तक्खइ। तक्ष् धातु को तच्छ, चच्छ, रम्प और रम्फ ये चार आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०-तच्छइ...."रम्फइ । (विकल्प -पक्ष में ):-तक्खइ । विकसेः कोआस-वोसट्टौ ॥ १९५ ॥ विकसेरेतावादेशौ वा भवतः । कोआसइ । वोसट्टइ । विअसइ । विकस धातु को कोआस और वोसट्ट ये आदेश विकल्प से होते हैं। उदा.-- कोआसइ, वोसट्टइ । ( विकल्प-पक्ष में ):-विअसइ । हसेगुजः ।। १९६ ॥ • हसेर्गुल इत्यादेशो वा भवति । गुखइ । हसइ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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