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________________ चतुर्थ: पाद: खउर और पड्डुह ऐसे आदेश बिकल्प से होते हैं । उदा०-( विकल्प - पक्ष में ) : -- खुब्भ इ । जाडो रमे रम्भ- दवौ ।। १५५ ।। आङः परस्य रमे रम्भ ढव इत्यादेशौ वा भवतः । आरम्भइ । आढवइ ! आरभइ । आ ( उपसर्ग ) के आगे होने वाले रम् धातु को रम्भ और ढव ऐसे आदेश विकल्प से होते हैं । उदा:--आरम्भइ, आढवइ । ( विकल्प - पक्ष में ) आरभइ । २१२ क्षुम् धातु को खउरइ, पड़ डुइइ । उपालम्भेर्झङ्ख-पच्चार- वेलवाः ।। १५६ ।। उपालम्भेरेते त्रय आदेशा वा भवन्ति । झङ्खइ । पच्चारइ । वेलवइ । उपालम्भइ | उपालम्भ् घातु को ( झङ्ख, पच्चार और बेलव बिकल्प से होते हैं । उदा० - - झङ्खइ उवालम्भइ । वेलवइ । अवेजृम्भो जम्भा ॥ १५७ ॥ जृम्भेर्जम्भा इत्यादेशो भवति वेस्तु न भवति । जम्भाइ जम्भाअइ । अवे रिति किम् | केलिपसरो' बिअम्भइ । ऐसे ) ये तीन आदेश i विकल्प - पक्ष में ) --- जम्भ् धातु को जम्मा ऐसा आदेश होता है; तथापि वि ( उपसर्गं ) पीछे होने पर, ( जम्भा आदेश ) नहीं होता है । उदा०-- जम्भाइ, जम्भाभइ । वि ( यह उपसर्ग ) पीछे होने पर ( जम्भा आदेश ) नहीं होता है, ऐसा क्यों कहा है ? ( कारण वि उपसर्ग पीछे न होने पर ही, जम्भा आदेश होता है । उदा० - ) के लि यसरो विअम्भइ | Jain Education International भाराकान्ते नमेर्णिसुः ॥ १५८ ॥ भाराक्रान्ते कर्तरि नमेनिसुढ इत्यादेशो ( वा ) भवति । णिसुढइ । पक्षे । णवइ । भाराक्रान्तो नमतीत्यर्थः । भाराक्रान्त ( कोई पुरुष ) कर्ता होने पर, नम् धातु को ( विकल्प से होता है । उदा० - णिसुढइ । विकल्प - ) ( यानी ) भाराक्रान्तः नमति ( बोझ से आक्रान्त पुरुष अर्थ है । १. केलिप्रसरः विजृम्भते । For Private & Personal Use Only णिसुढ ऐसा आदेश में : - पक्ष नमता - णवइ; है ), ऐसा www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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