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प्राकृतव्याकरणे
सूत्र से ( दुम में से ह्रस्य उ का ) दीर्घ ऊ भी होता है । उदा अवलित ऐसा अर्थ है |
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तुले रोहामः ॥ २५ ॥
तुलेर्ण्यन्तस्य ओहाम इत्यादेशो वा भवति । ओहामइ । तुलइ | प्रेरक प्रत्यधान्त तुल् ( धातु ) को महाम ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा० -- महामह । ( विकल्प - पक्ष में : -- - ) तुलइ |
- दूमि ( यानी )
विरिचेरो लुण्डोल्लुण्डप हत्थाः || २६ ॥
विरेचयतेर्ण्यन्तस्य ओलुण्डादयस्त्रय आदेशा वा भवन्ति । ओलुण्ड | उल्लुण्ड । पल्हत्थइ । विरेअइ ।
प्रेरक प्रत्ययान्त विरेचयति (वि + रि धातु ) को ओलुण्ड इत्यादि ( यानी ओलुण्ड, उल्लुण्ड और पल्हत्थ ऐसे ये ) तीन आदेश विकल्प से होते हैं । उदा०ओलुण्डइ पल्हत्थइ । ( विकल्प-पक्ष : ) विरेअइ ।
तडेराहो विहोडौ ॥ २७ ॥
तडेर्ण्यन्तस्य एतावादेशौ वा भवतः । आहोडइ । विहोडइ । पक्षे ताडेइ । प्रेरक प्रत्यय अन्त में होने वाले त ( तडि ) धातु को ( आहोड सौर विछोड ) ये आदेश विकल्प से होते हैं । उदा० - आहोडइ, बिहोडइ ( विकल्प - ) पक्ष
में : -ताडेइ |
मिश्रेर्वी साल मेलवौ ।। २८ ।।
मिश्रयते ण्यन्तस्य वीसाल मेलव इत्यादेशौ वा भवतः । वीसालइ । मेल! वइ । मिस्स |
प्रेरक प्रत्ययान्त मिश्रयति धातु को बीसाल और मेलव आदेश विकल्प से होते हैं । उदा० -- वीसालइ मेलबइ । ( विकल्प-पक्ष में :---- ) मिस्सइ ।
उद्यूलेर्गुण्ठः ॥ २९ ॥
उद्धूयन्तस्य गुण्ठ इत्यादेशो वा भवति । गुण्ठइ । पक्षे । उद्दूलेइ । प्रेरक प्रत्ययान्त उवल धातु को गुण्ठ ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा०गुण्ठइ । ( विकल्प ) पक्ष में :- उद्ध्रुलेइ ।
भ्रस्ता लिअण्ट- तमाडौ ॥ ३० ॥
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भ्रमयतेर्ण्य न्तिस्य तालिअण्ट तथाड इत्यादेशौ वा भवतः । तालिअण्टइ । तमाइ । भाइ । भमाडेइ भमावेइ :
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