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चतुर्थः पादः
प्रमयति ( Vघ्रम् ) इस प्रेरक प्रत्ययान्त धातु को तालिअण्ट और तमाड ऐसे आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-तालिअण्टइ, तमाडइ। (विकल्प पक्ष :-) भामेई... .."भमावेइ।
नशेविउड-नासव-हारव-विप्पगाल-पलावाः॥ ३१ ॥ नशेय॑न्तस्य एते पञ्चादेशा वा भवन्ति । विउडइ। नासवइ। हारवइ । विप्पगालइ । पलावइ । पक्षे । नासइ ।
प्रेरक प्रत्ययान्त नश् धातु को ( विउड, नासव, हारब, विप्पगाल, और पलाय ऐसे ) ये पांच आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-विउडइ .. 'पलावइ । (विकल्प-) पक्ष में :-नासइ ।
दृशेर्दाव-दस-दक्खाः ॥ ३२ ॥ दृशेय॑न्तस्य एते त्रय आदेशा वा भवन्ति । दावइ । दंसइ । दक्खवइ । दरिसह।
प्रेरक प्रत्ययान्त दृश् धातु को ( दाव, दस और दक्खव ऐसे ) ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं। उदा०-दाबइ... ..'दक्खवइ। ( विकल्प पक्ष में :-) दरिसइ।
. उद्घटेरुग्गः ।। ३३ ॥ उत्पूर्वस्य घटेय॑न्तस्य उग्ग इत्यादेशो वा भवति । उग्गइ । उग्धाडइ ।
उद् ( उपसर्ग) पूर्व में होने वाले प्रेरक प्रत्ययान्त धट् धातु को उग्ग ऐसा देश विकल्प से होता है । उदा० ।- उग्गइ (विकल्प पत्र में :-) उग्धाइ।
स्पृहः सिहः ।। ३४ ॥ स्पृहो ण्यन्तस्य सिह इत्यादेशो वा भवति । सिहइ।
प्रेरक प्रत्ययान्त स्पृह, धातु को सिह ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदा.-- सिहए।
संभावेरासंघः ॥ ३५ ॥ सम्भावयतेरासंघ इत्यादेशो ( वा ) भवति । आसंघइ । संभावइ ।
सम्भावयति ( धातु ) को आसंघ ऐसा आदेश ( विकल्प से ) होता है। उदा०आसंघइ (विकल्प-पक्ष :-- ) सम्भावइ ।
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