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चतुर्थ पादः
इदितो वा ॥ १॥ सूत्रे ये इदितो धातवो वक्ष्यन्ते तेषां ये आदेशास्ते विकल्पेन भवन्तीति वैदितव्यम् । तत्रैव च उदाहरिष्यन्ते। _(अब अगले) सूत्रों में जो इ (यह अक्षर) इत् होनेवाले धातु कहे जाएंगे, उनको जो आदेश होते हैं, वे विकल्प से होते हैं ऐसा जाने। उनके उदाहरण भी वहीं दिए जाएंगे। कथेअर-पजरोप्पाल-पिसुण-संघ-बोल्ल-चव-जम्प-सीस-साहाः ॥२॥
कथेर्धातोर्वज्जरादयो दशादेशा वा भवन्ति । वज्जरइ । पज्जरइ । उप्पालइ । पिसुणइ । संघइ। वोल्लइ। चवइ । जंपइ। सीसइ। साहइ । उब्बुक्कइ इति तूत्पूर्वस्य बुक्क भाषणे इत्यस्य । पक्षे। कहइ । एते चान्यदेशीषु पठिता अपि अस्माभिर्धात्वादेशीकृता विविधेषु प्रत्ययेषु प्रतिष्ठन्तामिति । तथा च । वज्जरिओ कथितः। वज्जरिऊण कथयित्वा। वज्जरणं कथनम् । वज्जरन्तो कथयन् । वज्जरिअव्वं कथयितव्यम् । इति रूपसहस्राणि सिध्यन्ति । संस्कृतधातुवच प्रत्ययलोपागमदिविधिः ।
कथ् ( कथि ) धातु को बज्जर इत्यादि ( यानी बज्जर, पज्जर, उप्पाल, पिसुण, संघ, बोल्ल, चब, जंप, सीस और साह ऐसे ) दस आदेश विकल्प से होते हैं। उदा.वज्जर.... 'साहइ । उब्वुक्फइ ( यह रूप ) मात्र उद् ( उपसर्ग ) पूर्व में होनेवाले 'बुक्क' याना कहना ( भाषणे ( इस धातु से होता है । विकल्प-) पक्षमें:-कहा। ये ( आदेश ) यद्याप अन्य वैयाकरणों ने देशी शब्दों में कहे हैं, तथापि हमने उन्हें धात्वादेश किया है; ( हेतु यह कि ) विविध प्रत्ययों में ( उन्हें ) प्रतिष्ठा मिले । मौर इसलिए बज्जरिओ ...... कथयितब्यम्, इसी प्रकार सहस्रों रूप सिद्ध होते हैं, और ( इन धात्वादेशों के बारे में ) संस्कृत में से धातु के समान ही प्रत्यय, लोप, आगम इत्यादि विधि ( कार्य ) होते हैं।
दुःखे णिव्वरः ॥ ३॥ दुःख विषयस्य कथेणिव्वर इत्यादेशो वा भवति । णिव्वरह । दुःखं कथयतीत्यर्थः। ___दुःख विषयक कथ् (धातु) को णिम्बर ऐसा आदेश विकल्प से होता है । उदाणिम्बरइ (पानी) दुःख से कहना है ऐसा अर्थ है ।
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