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________________ १६२ तृतीयः पादः द्वेदों वे ॥ ११६ ॥ द्विशब्दस्य तृतीयादौ दो वे इत्यादेशौ भवतः । दोहि वेहि कयं । दोहितो वैहितो आगओ। दोण्हं वेण्हं धणं । दोसु वेसु ठिअं। तृतीया इत्यादि ( यानी तृतीया से सप्तमीतक ) विभक्तियों में वि ( इस संख्यावाचक ) शब्द को दो और वे ऐसे आदेश होते हैं। उदा०-दोहि " .. वेसु ठिअं। दुवे दोणि वेणि च जस-शसा ॥१२०॥ जस्-शस्भ्यां सहितस्य वेः स्थाने दुवे दोणि वेण्णि इत्येते दो वे इत्येतो च आदेशा भवन्ति । दुवे दोण्णि वेण्णि दो वे ठिआ पेच्छा वा। हस्वः संयोगे (१.८४) इति ह्रस्वत्वे दुणि विण्णि। जस् और शस् ( इस प्रत्ययों ) से सहित ( होने वाले ) दिव ( शब्द ) के स्थान पर दुवे, दोण्णि, और वेण्णि ऐसे ये ( तोन ) तथा दो और वे ऐसे ये ( दो ), ऐसे आदेश होते हैं । उदा०-दुवे... .. पेच्छ वा । 'ह्रस्वः संयोगे' सूत्र के अनुसार, ( स्वर का ) ह्रस्वत्व आने पर, दुण्णि और विणि ( ऐसे रूप होते हैं)। त्रस्तिण्णिः ।। १२१ ॥ जस्-शस्भ्यां सहितस्य त्रेः स्थाने तिणि इत्यादेशो भवति । तिण्णि ठिा पेच्छ वा। जस् और शस् ( प्रत्ययों ) से सहित ( होनेवाले ) त्रि ( शब्द ) के स्थान पर तिणि ऐसा आदेश होता है । उदा०--तिण्णि .. .. 'पेच्छ वा । चतुरश्वत्तारो चउरो चत्तारि ॥ १२२ ॥ चतुर्-शब्दस्य जस्-शस्भ्यां सह चत्तारो चउरो चत्तारि इत्येते आदेशा भवन्ति । चत्तारो चउरो चत्तारि चिट्ठन्ति पेच्छ वा। जस् और शस् ( प्रत्ययों) के सह चतुर ( इस संख्यावाचक ) शब्द को चत्तारो, चउरो और चत्तारि ऐसे ये आदेश होते हैं। उदा०---चत्तारो... ... पेच्छ वा। संख्याया आमो छह ण्हं ।। १२३ ।। संख्याशब्दात् परस्यामो ण्ह ण्हं इत्यादेशौ भवतः । दोण्ह । तिण्ह । चउण्ह। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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