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________________ प्राकृतव्याकरणे ऊपर ) अनुस्वार आने पर, अम्हाणं मज्झाणं ( ऐसे रूप होते हैं ) । और इसी प्रकार ( कुल ) पन्द्रह रूप होते हैं । मि मह ममाइ मए मे ङिना ॥ ११५ ॥ अस्मदो ङिना सहितस्य एते पचादेशा भवन्ति । मि मइ ममाइ मए मे ठिभं । १६१ ङि ( प्रत्यय ) से सहित ( होने वाले ) अस्मद् को मि, मइ, ममाइ, मए, और मे ( ऐसे ) ये पाँच आदेश होते हैं । उदा०-- मि मे ठिअं । अम्ह-मम-मह- मज्झा ङौ ॥ ११६ ॥ अस्मदो ङौ परत एते चत्वार आदेशा भवन्ति । ङेस्तु यथाप्राप्तम् । अहम्मि ममम्मि महम्मि मज्झम्मि ठिअं । ङि ( प्रत्यय ) आगे होने पर, अस्मद् ( सर्वनाम ) को अम्ह, मम, मह, और मज्झ (ऐसे ) ये चार आदेश होते हैं । डिप्रत्यय के आदेश ( सूत्र ३.११ देखिए ) हमेशा की तरह होते हैं । उदा० अम्हम्मिमज्झाम्मि ठिअं । सुपि ॥ ११७ ॥ अस्मदः सुपि परे अम्हादयश्चत्वार् आदेशा भवन्ति । अम्हेसु समेसु महेसु मज्झे । एत्व - विकल्प मते तु । अम्हसु ममसु महसु मज्झसु । अम्हस्यात्वमपीच्छत्यन्यः | अम्हासु । सुप ' प्रत्यय ) आगे होने पर, अस्मद् ( सर्वनाम को अह इत्यादि ( यानी अम्ह, मम, मह और मज्झ ऐसे ये ) चार आदेश होते हैं । उदा० - मम्हेसु मझें । ( सुप्रत्यय के पूर्व पिछले अ का ) ए विकल्प से होता है इस मत के अनुसार, अम्हसु ं. मज्झसु ( ऐसे रूप होंगे ) | ( सु प्रत्यय के पूर्व ) 'अम्ह' में ( अ का ) आ होता है ऐसा दूसरा कोई ( वैयाकरण ) मानता है; तदनुसार अम्हासु । ऐसा रूप होगा ) । Jain Education International त्रस्ती तृतीयादौ ॥ ११८ ॥ त्रः स्थाने तो इत्यादेशो भवति तृतीयादौ । तीहिं कथं । तीहितो आगओ । तिन्हं धणं । तीसु ठिअं । तृतीया इत्यादि । यानी तृतीया से सप्तमीतक ) विभक्तियों में त्रि ( इस संख्यावाचक शब्द ) के स्थान पर तो ऐसा आदेश होता है । उदा० तीहि तोसु ठिभं । ११ प्रा० व्या० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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