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________________ १२२ द्वितीयः पादः पश्य ( = देखो ) इस ( शब्द ) के अर्थ में उ अ ऐसा ( अव्यय) विकल्प से प्रयुक्त करे। उदा०-उम.."सुत्तित्व । ( विकल्प---) पक्ष में:-पुलअ इत्यादि ( शब्द प्रयुक्त करे )। इहरा इतरथा ।। २१२ ॥ ..... इहरा इति इतरथार्थे प्रयोक्तव्यं वा। इहरा' नी सामन्नेहिं । पक्षे । इअरहा। इतरथा ( = नहीं तो ) अर्थ में इहरा ऐसा शब्द विकल्प से प्रयुक्त करे । उदा०इहरा नौसामन्नेहिं । ( विकल्प- ) पक्ष में:-इअरहा। एक्कसरिअं झगिति संप्रति ।। २१३ ।। एक्कसरि झगित्यर्थे सम्प्रत्यर्थे च प्रयोक्तव्यम् । एक्कसरिअं। झगिति सांप्रतं वा। झगिति (= एकदम, सहसा) अर्थ में तथा संप्रति (= अब) अर्थ में एषकसरि (अव्यय) प्रयुक्त करे । उदा०-एक्कसरि ( यानी ) अचानक-सहसा अथवा सांप्रत ऐसा अर्थ है। मोरउल्ला मुधा ॥ २१४ ।। मोरउल्ला इति मुधार्थे प्रयोक्तव्यम् । मोरउल्ला । मुधेत्यर्थः। मोरउल्ला ( अव्यय) सुधा ( शब्द ) के अर्थ में प्रयुक्त करे । उदा०-मोरउल्ला (पानी) सुधा ऐसा अर्थ है। दरार्धारपे॥ २१५ ॥ दर इत्यव्ययमर्धार्थे ईषदर्थे च प्रयोक्तव्यम् । दर-विअसिअं । अर्धेनेषद् वा विकसितमित्यर्थः। दर ऐसा अव्यय अर्ध (= आधा) अर्थ जौर ईषद् (= अल्प, थोड़ा) इन पर्यों में प्रयुक्त करे । उदा.-दर-विअसिसं (यानो) आधा अथवा अल्प विकसित हुमा, ऐसा अर्थ है। किणो प्रश्ने । २१६॥ किणो इति प्रश्ने प्रयोक्तव्यम् । किणो धुवसि । प्रश्न पूछते समय किणो (अव्यय) प्रयुक्त करे । बाल-किणो धुवसि । १. इतरषा निःसामान्यः । २. (किणो) धुनोषि। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001871
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorK V Apte
PublisherChaukhamba Vidyabhavan
Publication Year1996
Total Pages462
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, P000, & P050
File Size22 MB
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