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द्वितीय : पादः
अव्वो नासेन्ति' दिहिं पुलयं वड्ढेन्ति देन्ति रणरणयं । एम्हि तस्सेअ गुणा ते च्चिअ अव्वो कह णु ए अं ॥ ३ ॥ पश्चात्तापे। अव्वो तह तेण कया अहयं जह कस्स साहेमि ॥ ४॥
अम्बो (ऐसा यह अव्यय) सूचना इत्यादि यानी सूचना, दुःख, संभाषण, अपराध, विस्मय, आनन्द, आदर, भय, खेद, विषाद और पश्चात्ताप दिखाने के लिए प्रयुक्त करे । उदा०- सूचना दिखाने के लिए:-~-अव्वो दुक्करकारय । दुःख के बारे में:अध्यो...."हिययं । संभाषण में:--अव्यो..... किमिणं । अपराध और विस्मय दिखाते वक्तः-अन्धो हरन्ति'....'भहिया ॥ १ ॥ आनंद, आदर और भय इनके बारे में:-अब्बो सुपहाय....."जूरि हिइ ॥ २ ॥ खेद दिखाते समयः-अव्वो ..... छेत्तं । विपाद दिखाते समय:-अव्यो नासेन्ति..... एकं ॥ ३ ॥ पश्चात्ताप में:अव्यो सह... साहेमि ॥ ४ ॥
अइ संभावने ॥ २०५ ॥ संभावने अइ इति प्रयोक्तव्यम् । अइ दिअर किं न पेच्छसि । संभावन दिखाने के लिए अइ ऐसा अव्यय प्रयुक्त करे । उदा०-अइ"'पेच्छसि ।
वणे निश्चयविकल्पानुकम्प्ये च ।। २०६ ॥ वणे इति निश्चयादौ सम्भावने च प्रयोक्तव्यम् । वणे देमि। निश्चयं ददामि । विकल्पे । होइ बणे न होइ । भवति वा न भवति । मनुकम्प्ये । दासो वणे न मुच्चइ । दासो न त्यज्यते । सम्भावने । नत्थि 'वणे नं न देइ विहिपरिणामो । सम्भाव्यते एतदित्यर्थः ।
निश्चय इत्यादि यानी निश्चय, विकल्प और अनुकम्प्य ये अपं दिखाने के लिए तपा संभावन अर्थ में, वणे ( ऐसा अव्यय ) प्रयुक्त करे। उदा०-वणे देमि यानी मैं निश्चित रूप से देता हूँ। विकल्प दिखाते समयः-होर..."होइ यानी होता है अथवा नहीं होता है। अनुकम्प्य अर्थ में:-दासो.. ..'मुच्चइ यानी अनुकंपनीय ऐसे दास का त्याग नहीं किया जाता है। संभावन अर्थ में:--मत्थि...... परिणामो यानी यह संभवनीय है, ऐसा अर्थ है। १. (अव्वो नाशयन्ति धुति पुलकं वर्धयन्ति दहति रणरणकम् ।
इदानीं तस्यैव गुणा: ते ( च्चिअ अन्वो ) कथं नु एतत् ।। २. (भव्यो) तथा तेन कृता अहं यथा कस्य कथयामि । ३. (भइ) देवर कि न प्रेक्षसे । ४. नास्ति (वणे) यद् न ददाति विधिपरिणामः ।
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