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________________ दो शब्द) दो शब्द आदरणीय पाटनी जी द्वारा लिखित 'सुखी होने का उपाय' नामक इस कृति की विषय-वस्तु चार भागों में विभाजित है। प्रथम भाग में पर से भिन्न भगवान आत्मा की चर्चा है, दूसरे भाग में पर्याय से भिन्न, गुणभेद से भी भिन्न भगवान आत्मा की चर्चा है, तीसरे भाग में पर, पर्याय और गुणभेद से भी भिन्न निज भगवान आत्मा की प्राप्ति की प्रायोगिक साधना की बात तथा चौथे भाग में यथार्थ निर्णयपूर्वक ज्ञातृतत्व से ज्ञेयतत्व के विभागीकरण पर चर्चा की गई है। भेद विज्ञान मूलक इस कृति के प्रथम भाग में समस्त पर पदार्थों से हटाकर प्रमाण के विषयभूत गुण पर्यायात्मक निजद्रव्य में लाकर स्थापित करने का प्रयास है; दूसरे भाग मैं अपनी आत्मा में ही उत्पन्न विकारी-अविकारी पर्यायों एवं अनन्त गुणों के विकल्पों से पार त्रिकाली ध्रुव निज भगवान आत्मा तक पहुँचाने का प्रयास है। तीसरे भाग में इस विकल्पात्मक सम्यक् निर्णय की निर्विकल्पक परिणती कैसे हो- यह बताने का प्रयास किया गया है। ___ यह तो सर्वविदित ही है कि पाटनी जी ने अध्यात्मिक सत्पुरुष श्री कानजी स्वामी का समागम पूरी श्रद्धा और लगन के साथ लगातार ४० वर्ष तक किया है। वे भाषा के पण्डित भले ही न हों, पर जैन तत्वज्ञान का मूल रहस्य उनकी पकड़ में पूरी तरह है। स्वामी जी द्वारा प्रदत्त तत्वज्ञान को जन-जन तक पहुँचाने के काम में वे विगत तीस-पैंतीस वर्षों से नींव का पत्थर बनकर लगे हुए हैं, विगत २२ वर्षों से मेरा भी उनसे प्रतिदिन का घनिष्ठ सम्पर्क है । अत: उनकी अन्तर्भावना को मैं भली-भांति पहचानता For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.001864
Book TitleSukhi Hone ka Upay Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2000
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & philosophy
File Size8 MB
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