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________________ 26 28 34 36 42 44 47 49 54 निर्णय करने वाले की अन्तर्भूमिका निर्णय का विषय क्या हो? चारों अनुयोग अनुयोगों का प्रयोजन पद्धति निष्कर्ष ज्ञेय तथा हेय उपादेय तत्त्वों के संबंध में ज्ञेय तत्त्व ज्ञेय तत्त्वों का स्व-पर विभागीकरण स्वज्ञेय की यथार्थ खोज में परज्ञेय उपेक्षित हो ही जाते हैं स्वज्ञेय को खोजने की पद्धति परसन्मुखता कैसे दूर हो ? जानना और मानना एक साथ केसे हो सकता है ? स्वसन्मुखता प्रगट करने का उपाय मात्र स्वज्ञेय तत्त्व ही अनुसंधान करने योग्य है स्वज्ञेय तत्त्व के अनुसंधान की पद्धति स्वज्ञेययतत्त्व का अनुसंधान स्वज्ञेय में भी अनेकता दिखती है, मैं अपनापना किसमें मान भेदज्ञान की महिमा अनेकताओं के विभागीकरणपूर्वक स्वतत्त्व की खोज 65 पर्याय के ज्ञानपूर्वक त्रिकाली ज्ञायकभाव की खोज तत्त्वार्थ श्रद्धानं सम्यग्दर्शनम् तत्वार्थ श्रद्धानं सम्यग्दर्शनं । सात तत्त्वों के श्रद्धान द्वारा भेद ज्ञान 57 58 59 63 64 .65 68 70 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001863
Book TitleSukhi Hone ka Upay Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Patni
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Sermon, & philosophy
File Size6 MB
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