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________________ भी विवाहादिक संस्कारों में ब्राह्मणों से काम लेते हैं। परन्तु धर्म सम्बन्धी विषय नितान्त पृथक हैं। उनसे कोई प्रयोजन नहीं है। अनभिज्ञ तथा अर्धविज्ञ पुरुषों ने प्रारम्भ में जैन-धर्म को बौद्ध-धर्म की शाखा समझ लिया था किन्तु अब इस भ्रम में कदाचित् ही कोई पड़ता हो। अब इसको हिन्दू मत की शाखा सिद्ध करने को कुछ बुद्धिमान उतारू हुए हैं। सो यह भ्रम भी जब उच्च कोटि के बुद्धिमान इस ओर ध्यान देंगे शीघ्र दूर हो जायगा । नीति के सम्बन्ध में भी जैनियों और हिन्दुओं में बड़े बड़े अन्तर हैं। जैनियों में दत्तक पारलौकिक सुख प्राप्त करने के उद्देश्य से नहीं लिया जाता । पुत्र के होने न होने से कोई मनुष्य पुण्य Studies in South Indian Jainism part II pages 34-35 );"सरसैलम के स्तम्भ-लेख सम्बन्धी विवरण से स्पष्टतया प्रकट है कि हिन्दुओं ने जैनियों पर किस किस प्रकार अन्याय किये जिससे उस देश में अन्ततः जैनधर्म का अन्त हो गया। यह स्तम्भ-लेख वास्तव में शिवोपासक हिन्दुओं का ही है। संस्कृत भाषा में मलिख अर्जन के मन्दिर के मण्डप के दायें और बायें तरफ़ स्तम्भों पर यह एक लग्बा लेख है जिसमें उल्लिखित है कि सं. १४३३ प्रजोत्पत्ति माघ वदी १४ सोमवार के दिन सन्त के पुत्र राजा लिङ्ग ने, जो भक्तयोन्मत्त शिवोपासक था, सरसैलम के मन्दिर में बहुत सी भेट चढ़ाई । इसमें इस राजा का यह कार्य भी सराहा गया है कि उसने कतिपय श्वेताम्बर जैनियों के सिर काटे । यह लेख दो प्रकार से विचारणीय है। प्रथम यह कि इससे प्रकट होता है कि अंध्र देश में ईसा की ग्यारहवीं शताब्दि के प्रथम चतुर्थ भाग में शिवमतानुयायी जैनियों के साथ शत्र ता रखते थे। यह शत्रता सोलहवीं शताब्दि के प्रथम चतुथ भाग तक जानी दुश्मनी बन गई। द्वितीय यह कि दक्षिण भारत में श्वेताम्बर सम्प्रदाय को भी वहाँ के शिवोपासक लोग ऐसा सम्प्रदाय समझते थे जिसका अंत कर देना शैवों को अभीष्ट था।" (२) देखो शिवकुमार बाई ब. जीवराज २५ कल० वी० नोट्स २७३, मानकचन्द बनाम मुन्नालाल १५ पञ्जाब रेकार्ड १६०६-४ इंडियन केसेज ८४४; वर्धमाननीति २८ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001856
Book TitleJain Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChampat Rai Jain
PublisherDigambar Jain Parishad
Publication Year1928
Total Pages200
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Principle, & Ethics
File Size9 MB
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