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अर्थ-यदि बाँट के पूर्व भाइयों में से कोई भाई साधु हो गया है तो स्त्रीधन को छोड़कर और सब द्रव्य के समान भाग लगाये जावेंगे ||४८ ||
अप्रजाश्चेत्स्वद्रव्याद्यद्भगिनी पुत्रितत्सुतात् । मातृबंधुजनांश्चैव तथा खोपक्षजानपि | ४ || विभक्तादविभक्ताद्धि द्रव्यात्किंचिच्च दित्सति । तद्भ्रातरो निषेद्धारो भवेयुरतिकोपिताः ||५०।।
अर्थ - यदि किसी व्यक्ति के पुत्र न हो और वह अपनी सम्पत्ति को अपनी बहन या बेटी या उनके पुत्रों को देना चाहे या माता अथवा स्त्री के कुटुम्ब के लोगों को देना चाहे तो चाहे वह सम्पत्ति विभक्त हो अथवा विभक्त हो उसके भाई उसमें उज्र कर सकते हैं यदि वह उससे प्रति प्रसंतुष्ट हों ||४६ - ५०॥
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यस्यैतेषु न कोऽप्यस्ति स द्रव्य ं च यथेच्छया ।
सुपथे कुपथे वापि दित्सन्वध्वा निवार्यते ॥ ५१ ॥
अर्थ - यदि किसी के भाई न हों तो उसकी स्त्री भी उसको जायदाद के दूर करते समय, चाहे वह अच्छे कार्य के लिए हो या बुरे के लिए, रोक सकती है ॥ ५१ ॥
येषां विभक्तद्रव्याणां मृते ज्येष्ठे कनिष्ठके । भ्रातरस्तत्सुताश्चैव सोदरास्तत्समांशिनः ||५२॥
अर्थ-बाँट के पश्चात् यदि अनेक भाइयों में से बड़ा छोटा कोई एक मर जाय तो उसका धन उसके शेष सब भाई वा भाइयों के पुत्र समान भाग में बाँट लें || ५२ ॥
पंगुरंधश्चिकित्स्यश्च
पतितक्लीवरोगिणः ।
जडेोन्मत्तौ च त्रस्तांगः पोषणीयो हि भ्रातृभिः ।। ५३ ।
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