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तीर्थकर महावीर ( आ०, १४८ । ७८ ) में इसे दक्षिण पांचाल की राजधानी कहा गया है
और द्रुपद को यहाँ का राजा बताया गया है। यहीं द्रौपदी का स्वयंवर हुआ था। विविधतीर्थकल्प में भी इसका उल्लेख है। जातक में उत्तर पांचाल में इसकी स्थिति लिखी है । पाणिनी में भी इस नगर का उल्लेख आता है ( पाणिनी कालीन भारतवर्ष, पृष्ठ ८७, संकाशादिगण ४।२।८०) इसी नगर में १३ वें तीर्थंकर विमलनाथ का जन्म हुआ था। इसलिए यह जैनों का एक तीर्थ है । प्रत्येक बुद्ध दुम्मुह भी यहीं का राजा था (विविध तीर्थ कल्प, पृष्ठ ५० )।
नंदलाल दे ने लिखा है कि उत्तरप्रदेश के फरुखाबाद जिले में स्थित फगहगढ़ से यह स्थान २८ मील उत्तर-पूर्व में स्थित है। कायमगंज रेलवे स्टेशन से यह केवल ५ मील की दूरी पर स्थित है ( नंदलाल दे लिखित ज्यागरैफिकल डिक्शनरी, पृष्ठ ८८, कंनिघम्स ऐशेंट ज्यागरैफी, द्वितीय संस्करण पृष्ठ ७०४ )
ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती भी इसी काम्पिल्य का था।
कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि विख्यात ज्योतिषाचार्य वाराह मिहिर का जन्म इसी नगर में हुआ था। (विमलचरण ला.वाल्यूम, भाग २, पृष्ठ २४० )
हस्तिपाल देखिए पृष्ठ २९४-३०१
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