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भक्त राजे
१ – आवश्यकचूर्णि, प्रथम भाग, पत्र ५४७ - आवश्यक हारिभद्रीय वृत्ति, पत्र ४१८ - १ ३ – उपदेशमाला सटीक, पत्र ३३५-३३६ ४ - ऋषिमंडल प्रकरण वृत्ति पत्र १४४-१
,
५ – त्रिषष्टिशला कापुरुषचरित्र, पर्व १०, सर्ग ६, श्लोक १२०
१४३ पत्र ७५-१–७६-१
जैन-ग्रन्थों में जब स्पष्ट लिखा है कि, अभय कुमार की माता श्रेष्ठीपुत्री थी और उसके पिता वेन्नातट के रहने वाले थे, तो फिर उसका सम्बंध उज्जयिनी अथवा वैशाली से जोड़ना वस्तुतः एक बहुत बड़ी भूल है । और, विमलचरण लाने तो बिला कुछ सोचे-समझे लिख दिया कि, जैन ग्रंथों में अभयकुमार को आम्रपाली का पुत्र लिखा है ।
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पुत्र
जैन-ग्रन्थों में श्रेणिक के पुत्रों का भी बहुत विस्तृत उल्लेख है । 'अणुत्तरोवाइयमुत्त' में उसके निम्नलिखित १० पुत्रों के नाम आये हैं :
१ जाली, २ मयाली, ३ उवयाली, ४ पुरिससेण, ५ वारिसेण, ६ दिहदंत, ७ लट्ठदंत, ८ वेहल्ल, ९ वेहायस, १० अभयकुमार ।'
इनमें से प्रथम ७ धारिणी के पुत्र थे । हल्ल और वेहायस चेल्लणा के थे और अभयकुमार नंदा के ।
१ - जालि मयालि उवयाली पुरिससेणे य वारिसेणे य । दीदंते य लट्ठते य वेहल्ले वेहायसे अभए इ य कुमारे ॥ - अंतगडाणुत्तरोववाइयदसाओ (म० चि० मोदी - सम्पादित ) पृष्ठ ६६ २ -- नवरं छ धारिणी सुश्रा - अणुत्तरोववाइयसुत्त ।
- अंतगडाणुत्तरोववाइयदसाओ ( वही ) पृष्ठ ६८. ३ – हल्ल-वेहायस चेल्लाए - उपर्युक्त ग्रंथ, पृष्ठ ६८. ४ – अभयस्स नाणत्तं रायगिहे नयरे सेखिए राया नंदा देवी
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- वही, पृष्ठ ६८.
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