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________________ ६४३ भक्त राजे अचलपुरप्रत्यासन्ने द्वै नद्यौः' इस अचलपुर का उल्लेख नन्दिसूत्र की स्थविरावलि में भी है। और, ऐसा ही उल्लेख कल्पसूत्र की सुबोधिका टीका में भी है। __ इस आभीर-देश की स्थिति का स्पष्टीकरण वृहत्कथा-कोष में निम्नलिखित रूप में है : तथास्ति वसुधासारो दक्षिणा पथ गोचरः।। आभीर विषयो नाम धन-धान्य समन्वितः॥४ -अर्थात् यह आभीर विषय दक्षिणा पथ में था। इनके अतिरिक्त जैन-ग्रंथों में भंभास.र को एक और पत्नी का नाम आता है-धारिणी । उसका पुत्र मेघकुमार था, जो बाद में साधु हो गया। १-पिंडनियुक्ति भाष्य सहित, पत्र ९२-२ २-नन्दिसूत्र, गाथा ३२, पत्र ५१-१ ३-कल्पसूत्र सुबोधिका टीका, पत्र ५१३ ४-हरिषेणाचार्य-रचित वृहत्कथा कोष, पृष्ठ ३२६ ५----तस्स णं सेणियस्स रन्नो धारिणी नामं देवी होत्था -ज्ञाताधर्मकथा, प्रथम भाग, पत्र १४-१ श्रा-तत्थ य सेणियनामा नरनाहो जो दढोऽवि सम्मत्ते । भिच्छं विप्पडिवन्नो सिरिवीरजिणंदसमएसु ॥३॥ तस्स य रन्नो भञ्जा धारिणी नामा इमा य कइया वि । . . ... . .. -भवभावना, उत्तरार्द्ध, पत्र ४९० इ-श्रेणिकधारिण्योः सुतो मेघकुमारः -कल्पसूत्र, सुबोधिका टीका, पत्र ५५ www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Personal Use Only
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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