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भक्त राजे अचलपुरप्रत्यासन्ने द्वै नद्यौः'
इस अचलपुर का उल्लेख नन्दिसूत्र की स्थविरावलि में भी है। और, ऐसा ही उल्लेख कल्पसूत्र की सुबोधिका टीका में भी है।
__ इस आभीर-देश की स्थिति का स्पष्टीकरण वृहत्कथा-कोष में निम्नलिखित रूप में है :
तथास्ति वसुधासारो दक्षिणा पथ गोचरः।। आभीर विषयो नाम धन-धान्य समन्वितः॥४
-अर्थात् यह आभीर विषय दक्षिणा पथ में था। इनके अतिरिक्त जैन-ग्रंथों में भंभास.र को एक और पत्नी का नाम आता है-धारिणी । उसका पुत्र मेघकुमार था, जो बाद में साधु हो गया।
१-पिंडनियुक्ति भाष्य सहित, पत्र ९२-२ २-नन्दिसूत्र, गाथा ३२, पत्र ५१-१ ३-कल्पसूत्र सुबोधिका टीका, पत्र ५१३ ४-हरिषेणाचार्य-रचित वृहत्कथा कोष, पृष्ठ ३२६ ५----तस्स णं सेणियस्स रन्नो धारिणी नामं देवी होत्था
-ज्ञाताधर्मकथा, प्रथम भाग, पत्र १४-१ श्रा-तत्थ य सेणियनामा नरनाहो जो दढोऽवि सम्मत्ते ।
भिच्छं विप्पडिवन्नो सिरिवीरजिणंदसमएसु ॥३॥ तस्स य रन्नो भञ्जा धारिणी नामा इमा य कइया वि ।
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-भवभावना, उत्तरार्द्ध, पत्र ४९० इ-श्रेणिकधारिण्योः सुतो मेघकुमारः
-कल्पसूत्र, सुबोधिका टीका, पत्र ५५
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