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तीर्थकर महावीर सूनुः कुणिकभूपस्य श्रीमत्यां त्वमभूरसौ।
अथान्यदा पिता तेऽसौ मत्पुत्रेषु भवेत्पतिः ॥ --'' 'और यहाँ राजा कुणिक की श्रीमती रानी से तू श्रेणिक नाम का पुत्र हुआ है।' दिगम्बर-पुराण का यह उल्लेख सर्वथा अशुद्ध और इतिहास-विरुद्ध है । कुणिक श्रेणिक का पुत्र था न कि, बाप ! ।
पर, दिगम्बर-शास्त्र और ग्रंथों में भी मतिवैभिन्य है। हरिषेणाचार्य के वृहत्कथा-कोष में श्रेणिक के पिता का नाम उपश्रेणिक और उसकी माता का नाम प्रभा लिखा है।'
अन्य ग्रन्थों में श्रेणिक के पिता के विभिन्न नाम मिलते हैं-भट्टीयो (भट्टीय बोधिस), महापद्म, हेमजित, क्षेत्रौजा, क्षेत्प्रोजा।।
गिलिट मांस्कृष्ट में श्रोणिक के पिता का नाम महापद्म लिखा है।
श्रेणिक के पिता का क्या नाम था, इस सम्बन्ध में अन्य धर्मग्रन्थों में तो मतभेद है, पर श्वेताम्बर ग्रन्थ सर्वथा एक मत से उसका नाम प्रसेनजित ही बताते हैं।
१-उत्तरपुराण, चतुःसप्ततितमं पर्व, श्लोक ४१८, पृष्ठ ४७१ । २-तथास्ति मगधे देशे पुरं राजगृहं परम् ।
तत्रोपश्रेणिको राजा तद्भार्या सुप्रभा प्रभा ॥१॥ तयोरन्योन्यसंग्रीतिसंलग्नमन सोरभूत् । तनयः श्रोणिको नाम सम्यक्त्व कुतभूषणः ॥
-वृहत्कथाकोष, श्रेणिक कथानकम, पृष्ठ ७८. ३–पोलिटिकल हिस्ट्री आव ऐंशेंट इंडिया, (५-वाँ संस्करण) पृष्ठ २०५.
४-इंडियन हिस्टारिकल क्वार्टली, खंड १४, अंक २, पृष्ठ ४१३ ।
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