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भक्त राजे
५१५ कि कणिक ने ८ राजाओं की कन्याओं से विवाह किया था, परन्तु वहाँ उनके नाम अथवा वंश का उल्लेख नहीं है।'
पद्मावती का ही पुत्र उदायी था, जो कूणिक के बाद मगध के सिंहासन पर बैठा और इसी ने अपनी राजधानी चम्पा से हटाकर पाटलिपुत्र बनायी।
राज्यारोहण कूणिक के राज्यारोहण की और श्रेणिक की मृत्यु की तथा राजधानी के परिवर्तन की कथा हम श्रेणिक के प्रसंग में लिख आये हैं । अतः हम उसकी पुनरावृत्ति नहीं करेंगे।
कूणिक और भगवान् महावीर यह कूणिक भगवान् महावीर का पक्का भक्त था। उसने अपने यहाँ एक ऐसा विभाग ही खोल रखा था, जो नित्य प्रति का भगवान् का समाचार कूणिक को सूचित करता रहता था। औपपातिकसूत्र सटीक, सूत्र ८, पत्र २४-२५ में पाठ आता है
तस्स णं कोणिस्स रण्णो एकके पुरिसे विउलकय वित्तिए भगवनो पवित्तिवाउए भगवनो तहेवसि पवित्ति णिवेएइ, तस्स णं पुरिसस्स बहवे अराणे पुरिसा दिएणभतिभत्तवेपणा भगवो पवित्तिवाउमा भगवो तददेवसियं पवित्ति णिवेदेति ॥
इसकी टीका अभयदेव सूरि ने प्रकार की है:
१-अण्णदा कूणियस्स अट्टहिं रायवर करणाहिं समं विवाहो कतो।
-श्रावश्यकचूर्णि उत्तरार्द्ध, पत्र १६७ २-अएणदा कदाइ पउमावतीए पुत्तो उदायी
-आवस्यकचूणि उत्तरार्ध, पत्र १७१ ३-आवश्यकचूर्णि उत्तराद्ध, पत्र १७७
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