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________________ में तो अनुसंधान, पुस्तकों की व्यवस्था श्रादि सभी खर्चे सम्मिलित हैं। एक जैन-संस्था द्वारा ऐसे उत्तर दिये जाने का हमें घोर दुःख है । तीर्थकर महावीर का अंग्रेजी अनुवाद हो रहा है और यथासमय प्रकाशित हो जायेगा। इसके अतिरिक्त इसका गुजराती और साधारण संस्करण निकालने की भी हमारी योजना है। प्राशा है, जैन-समाज तथा पाठकगण अपनी कृपा बनाये रखकर हमें प्रोत्साहित करेंगे। अहमदाबाद की अानन्दजी कल्याणजी की पीढ़ी ने प्रथम भाग की २०० पुस्तकें खरीद कर हमारी बड़ी सहायता की। प्रस्तुत पुस्तक के तैयार करने में स्वर्गीय श्री वाडीलाल मनसुखराम पारेख कपड़वंज, श्रीमती मैनाबेन वाडीलाल पारेख कपड़वंज, श्रीपोपटलाल भीखाचंद झवेरी पाटन, श्री चमनलाल मोहनलाल झवेरी बम्बई, श्री मानिकलाल स्वरूपचंद पाटन, श्रीखूबचंद स्वरूपचंद पाटन, श्रीमती सुशीला शान्तिलाल झवेरी पालनपुर, अं. हिन्दूमल दोलाजी खीवांदी, श्री रघुवीरचंद जैन जालंधर (पंजाब), शाह सरदारमल माणिकचंद खीवांदी, श्री जयसिंह मोतीलाल पाटन ने अग्रिम सहायक बनकर हमें जो उत्साह दिलाया उसके लिए हम उनके श्राभारी हैं । श्री गोपीचंद धाड़ीबाल के भी हम विशेष रूप से कृतज्ञ हैं। उन्होंने हमें सहायता तो दी ही और उसी के साथ साथ पुस्तक में लगा कागज भी मिल-रेट से दिलाने की कृपा उन्होंने की। हमें अपने काम में वस्तुतः पूज्य आचार्य श्री विजयेन्द्र सूरि जी महाराज के आशीर्वाद और सेठ भोगीलाल लहेरचन्द झवेरी की कृपा का ही पाश्रय रहा है । हम उन दो में से किसी से भी उऋण नहीं हो सकते । यशोधर्म मंदिर, काशीनाथ सराक १६६ मर्जबान रोड, (जैन-रत्न) अंधेरी, बम्बई ५८ प्रकाशक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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