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चुलनीपिता
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और अपनी गुरु की साक्षी से निन्दा-गर्दा करो तथा यथायोग्य तपः - कर्म रूप प्रायश्चित स्वीकार करो ।
चुलनीपिता ने अपनी माता की बात स्वीकार कर ली ।
उसने ११ प्रतिमाओं का पालन किया । और, आनन्द की तरह मृत्यु को प्राप्त कर कामदेव की भाँति सौधर्मकल्प में सौधर्मावितंसक के ईशान के अरुणप्रभ विभान में देवरूप से उत्पन्न हुआ । वह चार पल्योपम वहाँ रह कर महाविदेह क्षेत्र में सिद्ध होगा ।
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