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'चैत्य' शब्द पर विचार
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'मैनुएल आव बुद्धिज्म' ( पृष्ठ ९१ ) - पूजा-स्थान के लिए सबसे प्रचलित शब्द चैत्य ( प्रा० चेतिय ) था । किसी भवन से उसका तात्पर्य सदा नहीं होता । बल्कि, ( प्रायः ) पवित्र वृक्ष, स्मारक शिला, स्तूप, मूर्तियाँ अथवा धर्मलेख का भी वे द्योतन करते हैं । अतः कहना चाहिए कि समस्त स्थान जहाँ पवित्र स्मारक हो चैत्य हैं ।
( ४ ) इन अ सेकेण्ड्री सेंस टू अ टेम्पुल आर श्राइन कंटेनिंग अ चैत्य आर धातुगर्भ । चैत्याज आर दागबाज आर ऐन एंसेंशल फीचर आव टेम्पुल्स आर चैपेल्स कंस्ट्रक्टेड फार परपज आव वरशिप देयर बग अ पैसेज राउंड द' चैत्य फार सरकम्बुलेशन ( प्रदक्षिणा ) ऐंड फ्राम दीज सच टेम्पुल्स हैव रिसीव्ड देयर अपीलेशन द' नेम आव चैत्य हाउएवर अप्लाइड नाट ओन्ली टु सैंक्चुअरीज बट टु सेक्रेड ट्रीज, होली स्पाट ऐंड अदर रेलिजस मानूमेंट्स ।
- ए ग्रुनवेडेल-लिखित 'बुद्धिस्ट आर्टइन इंडिया' ( अनुवादक रिब्सन । जे० बर्जेस द्वारा परिवर्द्धित ) पृष्ठ २० - २१ ।
- इसका दूसरा भाव 'मंदिर' या पूजा-स्थान है, जो चैत्य या धातुगर्भ से सम्बद्ध होते थे । चैत्य अथवा दागवा मंदिर अथवा पूजास्थान के आवश्यक अंग होते थे । चैत्य के चारों ओर परिक्रमा होती थी चैत्य शब्द केवल मंदिर ही नहीं पवित्र वृक्ष, पवित्र स्थान अथवा अन्य धार्मिक स्थानों के लिए प्रयुक्त होता था ।
( ५ ) श्राइन
- डा० जगदीशचन्द्र जैन लिखित 'लाइफ इन ऐंशेंट इंडिया एज डिपिक्टेड इन द जैन कैनेस', पृष्ठ २३८ ।
- मंदिर |
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