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अह अट्टहिं ठाणेहिं, सिक्खासीलि त्ति वुच्चइ । अहस्सिरे सयादन्ते, न य मम्ममुदाहरे ।। नासीले न विसीले, न सिया अइलोलुए । अकोहणे सच्चरए, सिक्खासीलि त्ति वुच्चइ ।।
[उत्तरा० अ ० ११ गा ० ४.५ ] इन आठ कारणों से मनुष्य शिक्षा-शील कहलाता है :
१ हर समय हँसनेवाला न हो, २ सतत इंद्रिय-निग्रही हो, ३ दूसरों को मर्मभेदी वचन न बोलता हो, ४ सुशील हो, ५ दुराचारी न हो ६ रसलोलुप न हो, ७ सत्य में रत हो, तथा ८ क्रोधी न हो-शान्त हो ।
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