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'श्रमण-श्रमणी
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गृह का निवासी गृहपति था । बहुत वर्षो तक साधु-पर्याय पालकर विपुल पर सिद्ध हुआ (वही, पृष्ठ ४६ ) ।
१०५. मृगावती - देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ६७ । १०६. मेतार्य - देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग १, पृष्ठ ३१९३२१, ३६९ ।
१०७. मोर्यपुत्र - देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग १, पृष्ठ ३०७३१०, ३६८ ।
१०८. यशा — उमुयार का प्रसंग देखिए ( पृष्ठ ३३२ ) १०६. रामकृष्ण - देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ९५ ।
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यह
११०. रामापुत्र - इसका उल्लेख अनुत्तरोवाइय में आता है ( अंतगडदसाओ - अणुत्तरोववाइयदसाओ, मोदी- सम्पादित, पृष्ठ ७० ) । साकेत ( अयोध्या ) का निवासी था । इसकी माता का नाम भद्रा था । इसे ३२ पानियाँ थीं। बहुत वर्षों तक साधु धर्म पाल कर सर्वार्थसिद्ध में उत्पन्न हुआ और महाविदेह में जन्म लेने के बाद मुक्त होगा ।
१११. रोह- इसका उल्लेख भगवतीसूत्र ( शतक १, उद्देशा ६ ) में आता है | इसने भगवान् से लोक आलोक आदि सम्बन्ध में प्रश्न पूछे थे । ११२. लट्ठदंत - देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग २, पृष्ठ ५३ । ११३. व्यक्त — देखिए तीर्थङ्कर महावीर, भाग १, पृष्ठ २८२ - २९३, ३६८ ११४. वरदत्त - इसका उल्लेख विवागसूय ( सुख - स्कंध ) में आता है ( मोदी-चौकसी - सम्पादित, पृष्ठ ८२ ) साकेत नगर में मित्रनन्दी राजा था | श्रीकान्ता उसकी पत्नी का नाम था । वरदत्त उनका पुत्र था । उसे ५०० पत्नियाँ थीं। उनमें वरसेना मुख्य थी । पहले उसने श्रावकधर्म स्वीकार किया और बाद में साधु हो गया । मर कर यह सर्वार्थसिद्धि में गया | फिर महाविदह में जन्म लेने के बाद मोक्ष प्राप्त करेगा ।
११५. वरुण -- यह वैशाली का योद्धा था । रथमुसल-संग्राम में
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