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________________ ( २२ ) - श्रुत, सूत्र, ग्रंथ, सिद्धांत, प्रवचन, अज्ञोपदेश, आगम ये सब श्रुत के एकार्थिक नाम हैं । विशेषावश्यकभाष्य ( पत्र ५९१ ) में आचार्य जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण ने 'आगम' अथवा 'सूत्र' के निम्नलिखित पर्यायवाची बताये हैं . सुयधम्म तित्थ मग्गो पावयणं पवयणं च एगट्ठा । सुप्तं, तंतं, गंथो, पाठो, सत्थं, च एगट्ठा ॥ श्रुतधर्म, तीर्थ, मार्ग, प्रावचनं, प्रवचनं एतानि प्रवचनैकार्थिकानि । सूत्रं, तंत्रं, ग्रन्थः, पाठः, शास्त्रं च, इत्येतानि सूत्रे कार्थिकानि ॥ - श्रुतधर्म, तीर्थ, मार्ग, प्रावचन और प्रवचन ये पांच प्रवचन के एकाधिक नाथ हैं और सूत्र, तन्त्र, ग्रंथ, पाठ और शास्त्र ये पाँच सूत्र के एकाधिक नाम हैं । 'आगम' शब्द की टीका ठाणांगसूत्र सटीक ( पत्र २६२-२ ) में इस प्रकार की गयी है : अनेनेत्यागमः - श्राप्त -आगम अर्थात् आप्त पुरुष के वचन के रूप में प्राप्त करने , श्रर्था श्रागम्यन्ते परिच्छिद्यन्ते वचन सम्पाद्यो विप्रकृष्टार्थ प्रत्ययः । योग्य अगम्य पदार्थ का निर्णय रूप | इन आगमों की संख्या ८४ बतायी गयी है । उनमें निम्नलिखित ग्रन्थ गिनाये गये हैं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001855
Book TitleTirthankar Mahavira Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1962
Total Pages782
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, & Story
File Size10 MB
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