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________________ (४२) अथवा 'मध्यदेश' की सीमा क्या थी और जैन, बौद्ध तथा वैदिक ग्रन्थों में उसकी ब्याख्या किस रूप में उपलब्ध है। (क) जैन-दृष्टिकोण। १-'वृहत् कल्पसूत्र सटीक'' में आर्य-देश और उनकी राजधानियाँ इस प्रकार गिनायी गया हैं :रायगिह मगह चंपा अंगा तह तामलित्ति वंगा य । कंचणपुरं कलिंगा वाणारसी चेव कासी य ॥ साकेत कोसला गयपुरं च कुरु सोरियं कुसट्टा य । कंपिल्लं पंचाला अहिछत्ता जंगला चेव ॥ बारवई य सुरट्ठा विदेह महिला य वच्छ कोसंबी। नंदिपुरं संडिल्ला भदिलपुरमेव मलया य ॥ वेराड मच्छ वरुणा अच्छा तह मत्तियावइ दसन्ना । सुत्तीवई य चेदि वीयभयं सिंधुसोवीरा ॥ महुरा या सूरसेणा पावा भंगी य मासपुरि वट्टा । सावत्थी य कुणाला कोडीवरिसं च लाढा य ।। सेयविया वि य नगरी केगइअद्धं च आरियं भणियं । आर्यदेश . राजधानी १. मगध राजगृह २. अंग चम्पा ३. वंग ताम्रलिप्ति ४. कलिंग कांचनपुर ५. काशी वाराणसी ६. कोशल साकेत ७. कुरु गजपुर (हस्तिनापुर) १-बृहत् कल्पसूत्र सटीक, आगमप्रभाकर मुनिराज पुण्यविजय-संपादित, विभाग ३, पृष्ठ ६१३ । _ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001854
Book TitleTirthankar Mahavira Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashinath Sarak Mumbai
Publication Year1960
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, History, Story, N000, & N005
File Size20 MB
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